कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि सदन के आगामी दो दिवसीय मानसून सत्र के दौरान “समय की कमी और कोविड -19 की स्थिति” के कारण प्रश्नकाल नहीं होगा। भाजपा ने इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस पर “दोहरा मानदंड” अपनाने का आरोप लगाया। तृणमूल ने संसद के आगामी सत्र के दौरान प्रश्नकाल नहीं रखने के फैसले को “लोकतंत्र की हत्या” कहा था। राज्य की अन्य प्रमुख विपक्षी पार्टियां-कांग्रेस और माकपा ने हालांकि कहा कि इस बारे में आधिकारिक रूप से जानकारी मिलने के बाद ही वे कोई टिप्पणी करेंगे।
प्रश्नकाल का मतलब होगा सत्र को लम्बा खींचना बनर्जी ने कहा कि हमने तय किया है कि नौ सितंबर से शुरू होने वाले दो दिवसीय मानसून सत्र के दौरान समय की कमी और कोविड-19 स्थिति के कारण प्रश्नकाल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल का मतलब होगा सत्र को लम्बा खींचना और उसके लिए विधायकों को लंबी अवधि तक ठहरना होगा। हम इस महामारी के दौरान यह नहीं चाहते।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि वह इस संबंध में आधिकारिक सूचना मिलने के बाद ही टिप्पणी करेंगे। भाजपा विधायक दल के नेता मनोज तिग्गा ने कहा कि यह निर्णय “तृणमूल के दोहरे मानदंड” को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस संसद के आगामी सत्र के दौरान प्रश्नकाल की मांग कर रही है लेकिन उसने पश्चिम बंगाल विधानसभा की कार्यवाही में प्रश्नकाल को शामिल नहीं करने का फैसला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पार्टी के दोहरे मानदंड के अलावा और कुछ नहीं है।