महानगर के 5 बाजार समेत कई बाजारों से गायब हुआ प्याज

आखिर कब तक रोएंगे प्याज के आंसु!

कोलकाता/हावड़ा : पिछले करीब 1 महीने से अधिक समय से प्याज की बढ़ी हुई कीमतों ने लोगों को रूला कर रखा है। आमतौर पर 15-20 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाला प्याज आज 160 रूपए प्रति किलो की दर से भी बिक रहा है। प्याज की अत्यधिक कीमतों ने ना सिर्फ लोगों का पूरे महीने का बजट बिगाड़ दिया है बल्कि इसके असर रसोई पर भी पड़ रहा है। कई लोग तो इंटरनेट और यूट्यूब की मदद से बिना प्याज के स्वादिष्ट खाना पकाना तक सीख रहे हैं। दूसरी तरफ प्याज के दाम कम होने के आसार भी बहुत कम दिख रहे हैं। अत्यधिक थोक मूल्य के कारण खुदरा बाजारों में या तो प्याज की आवक कम हो रही है या फिर प्याज बिकना ही बंद हो गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महानगर के 5 बाजारों में प्याज की बिक्री को पूरी से ठप्प कर दिया गया है। केवल कोलकाता ही नहीं हावड़ा के कई बाजारों से भी प्याज नदारद हो चुका है। कोलकाता के काकुड़गाछी वीआईपी बाजार, माणिकतल्ला बाजार, राशमणि बाजार, बेलियाघाटा सरकार बाजार और वास्तुहारा बाजार में प्याज की बिक्री बंद कर दी गयी है। वहीं गुरूवार को हावड़ा मैदान इलाके के कई बाजारों से भी प्याज गायब दिखा।

पोस्ता बाजार में केवल 6 ट्रक आया प्याज 

महानगर के प्रमुख बाजारों में बिक्री के लिए सब्जी विक्रेता मुख्यतौर पर पोस्ता बाजार और सियालदह के कोले मार्केट से थोक के भाव में खरीदते हैं। किन्तु गुरूवार को बाजारों में प्याज की आवक बहुत कम हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पोस्ता बाजार में गुरूवार को नासिक से प्याज का कोई ट्रक नहीं आया है। पोस्ता बाजार में कुल 6 ट्रक आये हैं जिनमें से 3 ट्रक राजस्थान और 3 ट्रक दक्षिण भारत से आये हैं। बताया जाता है कि राजस्थान से आने वाले प्याज की कीमत 5000 रूपए प्रति टन है और दक्षिण भारत से आने वाले प्याज की कीमत 6000 रूपए प्रति टन है। वहीं दक्षिण भारत से आने वाला प्याज बुधवार को 4,400 रूपए प्रति टन की दर से बिका था। 

आम जनता और व्यवसायी, दोनों वर्ग प्रभावित

प्याज की बढ़ी किमतों के कारण प्याज खरीदने वाले और प्याज बेचने वाले दोनों वर्ग प्रभावित हुए हैं। आम लोगों की रसोई से जहां प्याज गायब हो चुका है वहीं प्याज की अत्यधिक किमत और कम बिक्री के कारण छोटे व्यवसायी भी थोक बाजार से प्याज नहीं खरीद रहे हैं। उसी प्रकार मुढ़ी-चॉप विक्रेताओं का व्यवसाय भी काफी प्रभावित हो रहा है। हावड़ा के मुढ़ी विक्रेता पिंटु का कहना है कि प्याज 160 रूपए किलो बिक रहा है। इसलिए झाल-मुढ़ी में प्याज के स्थान पर मुली का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाजार में प्याज नहीं मिल रहा है। प्याजी विक्रेता नंदिनी का कहना है कि दाम बढ़ने के बाद से प्याजी नहीं बना रही हूं। उन्होंने भी कहा कि हावड़ा मैदान के बाजारों में प्याज नहीं मिल रहा है। इसकी कीमतें बढ़ती जा रही है। खाना भी प्याज के बिना ही बनाना पड़ रहा है। प्याज खरीदने बाजार में आये अरूप पाल का कहना है कि आमतौर पर प्याज रोज खाता हूं किन्तु बढ़े दाम के कारण नहीं खरीद पा रहा हूं। उन्होंने कहा कि बहुत बुरा लग रहा है लेकिन किसी प्रकार से काम चलाना पड़ रहा है। प्याज के दाम जल्द से जल्द कम हो। हरिगोपाल पाल मुढ़ी-चॉप विक्रेता हरिगोपाल पाल का कहना है कि बढ़ी दाम से बने प्याजी का दाम खरीददार नहीं दे पाएगा और मेरा नुकसान होगा। इस कीमत पर प्याज खरीदने से कम से कम 6 रूपए प्रति की दर से प्याज बेचना होगा। उन्होंने कहा कि 2-3 सप्ताह से प्याजी नहीं बना रहा हूं। वहीं उन्होंने ममता सरकार पर हल्ला बोलते हुए कहा कि दीदी जो बोली है वह अपनी वायदों को पूरा नहीं कर रही हैं। सामानों का दाम बहुत बढ़ गया है।

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