अगले वर्ष से ट्रैक पर दौड़ेगी केवल एसी मेट्रो

कोलकाता : मेट्रो के सभी रेकों को एसी कर दिया जाएगा। इस वजह से मेट्रो का खर्च काफी बढ़ जाएगा और इसी खर्च को संभालने के लिए वर्ष के अंत में मेट्रो के भाड़ा में वृद्धी की गयी है। नॉन एसी रेक की तुलना में एसी रेक को चलाने के लिए करीब दोगुनी विद्युत खर्च होती है। वर्तमान में मेट्रो के एसी रेक की संख्या करीब 16 और नॉन एसी रेक की संख्या करीब 12 है। इनमें से 7 रेकों की स्थिति काफी खराब है। प्रतिदिन करीब पौने 7 लाख यात्री मेट्रो रेलवे से सफर करते हैं। इतने अधिक यात्रियों को मेट्रो परिसेवा देने में करीब 80 करोड़ रूपए का खर्च आता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मेट्रो रेलवे अगले वर्ष अप्रैल माह से ही सभी नॉन एसी रेक को हटा देने की योजना बना रही है। इसके बदले में एसी मेधा रेको को उतारा जाएगा। सूत्रों के अनुसार डालियेन रेक का ट्रायल रन भी करीब समाप्त हो गया है। 4 महीने के अंदर उसे भी यात्री सेवा के लिए उतारा जा सकता है। ऐसी परिस्थिति में बिजली का खर्च 80 करोड़ से काफी बढ़ सकता है। इसी खर्च को संभालने के लिए प्रत्येक स्तर पर 5 रूपए भाड़ा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार गत वर्ष मेट्रो ऑपरेशन रेसियो को 248 रूपए तक लाया गया था यानी 100 रूपए आय के लिए मेट्रो को 248 रूपए खर्च करना पड़ता है। किन्तु वर्ष 2018-19 के दौरान यही खर्च काफी बढ़ गया है। इसका कारण 4 नये एसी रेको को बताया जाता है। मेट्रो रेलवे सूत्रों के अनुसार गत वर्ष दिसंबर से इस वर्ष मार्च माह तक 4 महीनों के दौरान किराये से मेट्रो रेलवे को करीब 66.64 करोड़ रूपए की आय हुई है। किराया बढ़ने के बाद यदि यात्रियों की संख्या में 10 प्रतिशत की कमी आती है तब भी नयी आय 87 करोड़ रूपए होगी यानी 4 महीने की आय करीब 20 करोड़ रूपए होगी। प्रत्येक वर्ष यह आय 60 करोड़ रूपए होगी। 

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