रैपिड टेस्ट किट खराब होने का खामियाजा भुगत रहे हैं मरीज
आरोप ना कोई अटेंडेंट है और ना ही कोई नर्स व हेल्थकर्मी
बबीता माली
कोलकाता, समाज्ञा : लोगों में कोरोना पॉजिटिव की पहचान के लिए रैपिड टेस्ट शुरू किया गया था। उक्त रैपिड टेस्ट किट को आईसीएमआर ( इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की तरफ से भेजा गया था लेकिन किट में खराबी होने के कारण जांच रोक दी गई और किट को वापस भेज दिया गया। मगर इस किट के खराब होने का खामियाजा मरीजों को झेलना पड़ रहा है। जिन मरीजों का किट से टेस्ट किया गया था, उन मरीजों का अभी तक रिपोर्ट नहीं आया है। दरअसल, संदिग्ध कोरोना मरीज़ की पहचान करने के लिए इस किट जा इस्तेमाल किया जा रहा था। हालांकि पहले ही ग्लोबल एडवायजरी बोर्ड के एक्सपर्ट ने बताया था कि रैपिड टेस्ट किट टेस्ट मरीज़ को संदिग्ध के तौर पर चिन्हित करता है। कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि के लिए मुंह के लार का टेस्ट जरूरी है। मगर कुछ मरीजों का जिनका टेस्ट किया गया था किट से, उसका रिपोर्ट नहीं आने पर ना ही उनका इलाज शुरू हुआ है और ना ही स्वस्थ्य होने पर डिस्चार्ज किया जा रहा है। मरीजों के साथ ही साथ परिजनों को भी अनिश्चितकाल के लिए अस्पताल में ही रहना पड़ रहा है। ऐसा ही आरोप लगाया है आर जी कर अस्पताल में इलाजरत एक मरीज़ के परिजन ने।
हार्ट की समस्या लेकर आए थे अस्पताल, बुखार आने पर रख दिया संदिग्ध कोरोना मरीज़ के श्रेणी में
मूल रूप से पंजाब का रहने वाला है यह मरीज़। यहां वह अपने बेटे, बहू और पोतों के साथ मध्यमग्राम ने रहता है। मरीज़ के बेटे ने बताया कि उसके पिता को हार्ट की समस्या थी। हार्ट की समस्या लेकर वह अपने पिता का इलाज करवाने के लिए आर जी कर अस्पताल आया था। गत १८ अप्रैल को वह अपने पिता को अस्पताल लेकर आया था। हार्ट की समस्या के साथ ही उसके पिता को हल्का बुखार आ गया। बुखार आने पर डॉक्टर ने कहा कि उनका कोरोना टेस्ट करवाना पड़ेगा। इस बाबत उन्हें जेनरल वार्ड में ही अन्य कोरोना संदिग्ध मरीजों के साथ रख दिया गया। उनका टेस्ट किया गया लेकिन १८ तारीख से २४ तारीख हो गया अभी तक रिपोर्ट नहीं आया। यहां तक कि रिपोर्ट को लेकर कोई कुछ नहीं बता रहा है।
रिपोर्ट नहीं आने पर घर – द्वार छोड़कर पड़े है अस्पताल में
उसके बेटे ने बताया कि उसकी पत्नी और उसके दो बच्चे घर पर अकेले है। वह गत १८ अप्रैल से अभी तक अपने पिता के साथ अस्पताल में पड़े रहने को मजबूर है। उसने आरोप लगाया कि यहां कोई अटेंडेंट ही नहीं है। कोई नर्स या हेल्थ कर्मी नहीं है जिसके भरोसे पिता को छोड़कर घर जा सके। पिता को यहां पानी पिलाने वाला भी कोई नहीं है। उसने आरोप लगाया कि रिपोर्ट को लेकर कोई सठीक उत्तर नहीं दे रहा है। किसी से पता चला कि किट खराब होने से रिपोर्ट नहीं आया है।
डॉक्टर ने कहा है कि पिता ठीक है, बावजूद नहीं किए जा रहे है डिस्चार्ज
उसने यह भी बताया कि उसने डॉक्टर से पिता के हालत के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने बताया कि अभी उनकी तबीयत ठीक है। डिस्चार्ज की बात कही तो कहा कि रिपोर्ट आने पर ही बता पाएंगे। उसने आरोप लगाया कि यहां कोरोना संदिग्ध मरीजों को भी लाया जा रहा है। रोजाना ही कोई ना कोई मर रहा है। यहां शव भी पड़ा हुआ है। शव के बीच ही हमें भी रहना पड़ रहा है। ऐसे में एक स्वस्थ्य व्यक्ति भी बीमार पड़ जाएगा। शनिवार को संभावना जताई जा रही है कि इन्हें और अन्य मरीज़ को डिस्चार्ज किया जा सकता है।