कोलकाता, समाज्ञा : केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत इन दिनों महानगर में भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। चुनावी सभाओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों के बीच उन्होंने समाज्ञा के संवाददाता चंदन राय से खास बातचीत की। बातचीत के प्रमुख अंश नीचे दिए गए हैं।
समाज्ञा : मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के बंगाल में आठ चरणों में चुनाव की घोषणा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असहमति जतायी थीं। इस पर, आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
गजेंद्र सिंह : बंगाल में जिस तरह के हालात हैं, उन हालातों के मद्देनजर पारदर्शी और निष्पक्ष और भय मुक्त चुनाव करवाना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। इसी के मद्देनजर बंगाल में कई चरणों में चुनाव कराए जाने का निर्णय किया गया है। एक साधारण मतदाता के रूप में अगर आप पूरे बंगाल में घूमे और सामान्य लोगों से बातचीत करें तो बिना किसी राजनीतिक पहचान के सामान्य रूप से लोग एक ही सवाल उठाएंगे की वोट डालने दिया जाएगा या नहीं। इसको सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने कई चरणों में चुनाव करवा रही है। जहां तक दीदी का प्रश्न है तो, केंद्र सरकार और दिल्ली से आने वाले हर निर्णय पर नाराजगी और असहमति प्रकट करना उनकी आदत बन गई है। उन्होंने जो असहमति प्रकट की वह उनके मन में भय को दर्शाता है। उन्होंने जो कल्पना में उनके मन में चुनाव का लाभ लेनी की कल्पना ध्वस्त होते दिखाई दे रही है।
समाज्ञा : बंगाल में भाजपा के परिवर्तन यात्रा को अनुमति नहीं देने एवं चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद परिवर्तन यात्रा के टैब्ल्यो में तोफोड़ की गई है। क्या कहना चाहेंगे इस पर?
गजेंद्र सिंह : यह राजनीतिक प्रतिशोध है। भय पैदा करना, भय द्वारा शासन को बनाए रखना, सत्ता में बने रहना, यह पश्चिम बंगाल के लिए कोई नया विषय नहीं है। जब सीपीएम का शासन हुआ करता था तब भी इसी तरह की गतिविधियां होती रहती थीं लेकिन दुर्भाग्यजनक यह है कि ममता दीदी जिन्होंने उस दंज को झेला था और उस व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष कर के सत्ता में आई थीं। वह आज उसी रास्ते पर दूरदांत तरीके से चल पड़ी हैं। पिछले पांच सालों में भारतीय जनता पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं की हत्या की गई। सैकड़ों कार्यकर्ताओं को बिना अपराध जेल में ठूसा गया। ऐसे हजारों कार्यकर्ता हैं जो आज भी कई-कई महीनों से अपने घरों से बाहर रहने को मजबूर हैं। हजारों महिला कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किए गए हैं। उनके घर तोड़े गए हैं। जनभावना को इस तरह की दुर्भावना से दबाया नहीं जा सकता। जितना दमन आप करेंगी उतना ही आपको हटाने के लिए लोग संकल्पबद्ध होकर कार्य करेंगे।
समाज्ञा : इस विधानसभा चुनाव में भाजपा खुद को पिछले चुनावों की तुलना में मजबूत स्थिति में होने का दावा कर रही है। फिर, पार्टी में तृणमूल के बड़े चेहरों को क्यों शामिल किया जा रहा है?
गजेंद्र सिंह : जब कहीं भी सत्ता को परिवर्तन होता है तो ये लोकतंत्र की खूबसूरती है की लोग एक तरफ (पार्टी) से दूसरी तरफ जाते हैं। मैं एक उदाहरण देता हूं। उत्तर प्रदेश में जब 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनीं थी तब सपा (समाजवादी पार्टी) से बसपा (बहुजन समाज पार्टी) से, कांग्रेस से कितने ही लोग भाजपा में आए थे। हमने कुल मिलाकर 375 लोगों को टिकट दिए थे जिसमें 170 लोग बाहर से आए थे। 1980 में भारतीय जनता पार्टी जब अस्तित्व में आई तब पार्टी में गिने चुने लोग थे। आज भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है। जो लोग इस परिवार में आए हैं ऐसा तो नहीं है कि वह राजनीति से परहेज करते थे। सब लोग कहीं न कहीं वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ कार्य करते थे और उन्होंने अंतत: हमारे विचारधारा में काम करना और हमारे नेतृत्व में आस्था व्यक्त करना तय किया। कोई भी व्यक्ति किसी भी राजनैतिक विचारधारा के साथ काम कर रहा है और अगर वह हमारे विचारधारा के साथ काम करने के लिए तैयार हो हम बाहें पसाकर उसका स्वगत करेंगे। जहां तक आगे का विषय तो भारतीय जनता पार्टी अब महा समुद्र का स्वरूप धारण कर चुका है। अनेक नदियां इसमें आकर मिलती हैं। जो समुद्र में एकाकार हो जाएगा वह समुद्र में बना रहेगा और जो नहीं होगा वह वाष्पीकृत होकर उड़ जाएगा।
समाज्ञा : बंगाल में भाजपा का चुनावी मुद्दा क्या है?
गजेंद्र सिंह : पूरे देश में वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की राजनीति में आए तो देश की राजनीति का रिवायत बदल गई। भारतीय जनता पार्टी अपने स्थापना के काल से ही एक लक्ष्य, जो भारत की क्षमता है उनके साथ न्याय नहीं हुआ। हम समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आगे बढ़ाते हुए हम देश को उस लक्ष्य तक पहुंचायेंगे। यह भाजपा का मूल मंत्र है लेकिन प्रधानमंत्री ने विकास की रजनीति से इस मूल मंत्र को धरातल पर उतारा है। 2014 के बाद इस देश में राजनीति का केवल एक ही मुद्दा रह गया है और वह है विकास। यह बंगाल की धरती असीम संभावनाओं की धरती है और इस असीम संभावना वाली भूमि के अनुरूप इसके साथ न्याय नहीं हुआ। फिर वह चाहें अर्थव्यवस्था की दृष्टि से हो, पर्यटन की दृष्टि से हो औद्योगिक दृष्टि से हो।
समाज्ञा : आपको नहीं लगता कि बंगाल में विकास से ज्यादा धर्म को तरजीह दी जा रही है।
गजेंद्र सिंह : कुछ राजनीतिक पार्टी जिनके धरातल खिसकने वाले होते हैं वह मजहब के आधार पर देश को बांटने का षड़यंत्र करते हैं। चाहें सीएए के समय कर रहे हों। चाहें एनआरसी के समय कर रहे हों या 370 के समय कर रहे हों या फिर तीन तलाक के मुद्दे पर कर रहे हों। कुछ लोग केवल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए अपने वोट बैंक को अक्षुण बनाए रखने के लिए इस तरह के कृत्य करते हैं और जो उप उत्पाद है वह भारतीय जनता पार्टी के साथ चिपक जाते हैं।
समाज्ञा : तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी द्वारा गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ दर्ज कराए गए मानहानि के बाद सीबीआई ने अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा बनर्जी से कोयला घोटाले में पूछताछ की। दूसरी तरफ, इघटना के बाद स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने भाजपा नेता राकेश सिंह को पुलिस कथित तौर कोकीन मामले में भूमिका होने के लिए गिरफ्तार की है। क्या, आपको नहीं लगता की चुनाव से पहले दोनों ही पार्टियां जांच एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीतिक बदले की भावना से कर रही है।
गजेंद्र सिंह : पश्चिम बंगाल की सरकार की डीएनए में आ गया है कि एडमिनीस्ट्रेटिव फोर्सेस के माध्यम का दुरुपयोग करेंगे चाहें पुलिस हो या चाहे प्रशासनिक या उनके छाये में अपने काडर के बल का प्रयोग करते हुए लोगों में भय पैदा कर अपनी राजनीति करें यह उनकी यूएसपी बन गई है।
समाज्ञा : सबके मन में यह सवाल है कि बंगाल से भाजपा का चेहरा कौन होगा?
गजेंद्र सिंह : भारतीय जनता पार्टी की यह न नीति है न रिति है न पद्धति है कि चेहरा कौन होगा। यहां चुने हुए विधायकों की राय से अंतिम निर्णय पार्लियामेंट्री बोर्ड करता है। माननीय अमित शाह भी कह चुके हैं, जेपी नड्डा भी कह चुके हैं दीदी के सामने प्रत्यासी के रूप में चुनाव के क्षेत्र में बंगाल का बेटा होगा।
समाज्ञा : क्या भाजपा विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल कर पायेगी?
गजेंद्र सिंह : जिस तरह से परिवर्तन की सुनामी चल रही है। मैं अपने 30 साल के अनुभव के हिसाब से कह सकता हूं मैंने एसा चुनाव नहीं देखा है। जिस तरह की लोगों की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है वैसी प्रतिक्रिया इससे पहले किसी चुनाव के दौरान देखने को नहीं मिली। जनता सुओ मोटो परिवर्तन करना चाहती है और जनता ने तय कर लिया है कि परिवर्तन होगा। प