‘अब नहीं कहना है छोड़ो-जाने दो, मनचलों को सीखाना है सबक ’

मनचलों पर शिकंजा कसने के लिए मानिकतल्ला थाने की पुलिस ने बदला पैंतरा, मैदान में उतारी लेडी ऑफिसर

  • महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस ने शुरू किया एंटी इवटिजिंग ड्राइव
  • छीनताई, मोबाइल चोरी और पॉकेटमारी को रोकने के लिए भी बसों में पुलिस ने चलाया अभियान

बबीता माली
कोलकाता : महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आज पूरे देश में उथल-पुथल मचा हुआ है। रोज कहीं ना कहीं किसी महिला की अस्मत लूटती है तो कोई मनचलों से परेशान होती है। रोजाना ही ऐसी खबरें देखने और सुनने को मिलती है। यह भी सत्य है कि अपराधियों को पकड़ा जाता है लेकिन बावजूद इससे कोई सीख नहीं लेता है। वहीं दूसरे राज्यों की तुलना में कोलकाता काफी सुरक्षित शहर माना जाता है। खासकर कोलकाता पुलिस की छवि भी सभी राज्यों की पुलिस की तुलना में बेहतर मानी जाती है। इसी छवि को बरकरार रखते हुए कोलकाता पुलिस हर वक्त कुछ ना कुछ बेहतर करने की कोशिश में लगी रहती है। इस बार कोलकाता पुलिस के ईएसडी डिवीजन के अंतर्गत मानिकतल्ला थाने की पुलिस ने नये साल 2020 में नया कदम उठाया है और इलाके में मनचलों पर नजर रखने के लिए एंटी इवटिजिंग ड्राइव शुरू किया है। हालांकि कोलकाता पुलिस की ‘दी विनर्स’ टीम है जो महानगर में मनचलों पर नजर रखती है लेकिन इस बार मानिकतल्ला थाने की पुलिस ने खुद एक कदम आगे बढ़ाया और अपने थानों की लेडी ऑफिसर को मनचलों के खिलाफ अभियान में खड़ा किया। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सड़क पर हर महिला और युवती एक ना एक बार मनचलों का शिकार होती है। अकेली महिला को खड़ा देख कुछ युवक व पुरुष यह सोच लेते हैं कि यह महिला उनके लिए उपलब्ध है। वे उन पर टोन-टिटकारी करते हैं और अश्‍लील तथा अपशब्द कहते हैं। हालांकि कुछ महिलाएं इसका विरोध करती है लेकिन कुछ महिला व युवती यह सोच लेती है कि छोड़ों, जाने दो। मगर अब मानिकतल्ला थाने की पुलिस उन महिलाओं के लिए एक सीख लेकर आया है। अब पीड़ित महिलाओं को यह बोलने की जरूरत नहीं है कि अब छोड़ों, जाने दो, अब कहना है कि इन मनचलों को सबक सीखाना है। अधिकारियों का मानना है कि पुलिस के इस कदम से मनचलों, अपराधियों पर भी असर पड़ेगा।

साधारण युवती बनाकर लेडी ऑफिसर को खड़ा किया गया रास्तों पर

अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को मानिकतल्ला थानांतर्गत सबसे भीड़-भाड़ वाले इलाके उल्टाडांगा ब्रिज के निकट दो यंग लेडी ऑफिसर को खड़ा कराया गया था। ये लेडी ऑफिसर एकदम साधारण युवती की लिबास में ही खड़ी थी। दरअसल, अक्सर देखा जाता है कि जब कोई युवती या महिला अकेली खड़ी होती है तब मनचलों का साहस ज्यादा बढ़ जाता है और वे उन पर फब्तियां कसते हैं तथा उन्हें अश्‍लील प्रपोजल तक दे डालते हैं। इस बाबत ही इन लेडी ऑफिसर को अकेले खड़ा किया गया था। दूर 4 ऑफिसर तैनात थे। ताकि अगर कोई मनचला कुछ हरकत करता है तो?उसे दूर खड़े ऑफिसर पकड़ सकते हैं।

ओसी खुद भी खड़े थे सड़कों पर, पकड़ा दो मनचलों को

सूत्रों ने बताया कि सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक यह अभियान चलाया गया। गुरुवार को पहला दिन था। इस दिन मानिकतल्ला थाने के ओसी सुब्रत कुमार पाल खुद सड़क पर तैनात थे। उनके नेतृत्व में थाने के एंटी क्राइम आफिसर राजकुमार मिश्रा, अन्य एसआई, कांस्टेबल तथा सिविक वॉलेंटियर सहित थाने की टीम निगरानी कर रही थी। इसी दौरान लेडी ऑफिसर पर फब्तियां कसते हुए दो युवकों को रंगे हाथों पकड़ा गया। पुलिस के इस कार्य से मनचले भी अचंभित थे। सूत्रों ने बताया कि ओसी सुब्रत पाल ने इस ड्राइव के लिए डीसी (ईएसडी) अजय प्रसाद को बताया था और उनसे हरी झंडी मिलने के बाद यह अभियान गुरुवार से शुरू किया गया। सूत्रों का कहना है कि यह ड्राइव अब रोजाना चलेगा तथा ओसी इस ड्राइव का नेतृत्व करेंगे। वहीं पुलिस के हत्थे चढ़े मनचलों के माथे पर भी सिकन देखा गया और उन्होंने पुलिस से ही क्षमा मांगनी शुरू कर दी कि उन्हें तो पता ही नहीं चला कि वहां पुलिस नजर रखी हुई है।

बसों में भी पुलिस थी तैनात

अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि छेड़छाड़ की घटनाओं पर लगाम के साथ ही मोबाइल चोरी, छीनताई और पॉकेटमारी की घटनाओं पर भी शिकंजा कसने के लिए मानिकतल्ला थाने की पुलिस बसों में अभियान चला रही थी। गुरुवार को सादे लिबास में पुलिस को बसों में देखा गया। कांकुरगाछी से हाडको मोड़ तक पुलिस सादे लिबास में बसों में सवार थी और हर गतिविधियों पर नजर रख रही थी।

क्या कहना है डीसी (ईएसडी) का

डीसी (ईएसडी) अजय प्रसाद ने बताया कि महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एंटी इवटिजिंग ड्राइव शुरू किया गया है। गुरुवार छुट्टी का दिन था और ज्यादा भीड़ थी, इस बाबत इसे गुरुवार को शुरू किया गया। इसकी शुरुआत मानिकतल्ला थाने से की गयी है। भविष्य में डिवीजन के अन्य थानों में भी इस ड्राइव को चालू किया जायेगा। उनका कहना है कि इस ड्राइव का उद्देश्य मनचलों पर शिकंजा कसना है। साथ ही बसों में चोरी, छीनताई और पॉकेटमारी की घटनाओं को भी रोकना है।

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