जामिया और एमयू के छात्रों पर लाठीचार्ज के विरोध में धरने पर बैठीं प्रियंका गांधी

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीसीए) के विरोध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुए प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई के बाद विपक्ष ने इस मामले में बीजेपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कांग्रेस के अन्य सीनियर नेताओं के साथ इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गई हैं। उनके साथ केसी वेणुगोपाल, अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल और एके ऐंटनी भी मौजूद हैं। प्रियंका गांधी ने कहा कि देश का माहौल खराब हो गया है। उन्होंने कहा, ‘देश का वातावरण खराब हो गया है। पुलिस विश्वविद्यालय में घुसकर (छात्रों को) पीट रही है। सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर रही है। हम संविधान के लिए लड़ेंगे।’

उधर, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ‘मोदी सरकार स्वयं हिंसा व बंटवारे की जननी बन गई है। सरकार ने देश को नफरत की अंधी खाई में धकेल दिया है तथा युवाओं के भविष्य को आग की भट्टी में झुलसा दिया है।’ कांग्रेस अध्यक्ष का यह बयान पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है।

गौरतलब है कि देश के अलग-अलग हिस्सों से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन की खबरें आई हैं। रविवार को पटना और लखनऊ में भी कई जगहों पर प्रदर्शन हुए। इसके अलावा असम और पश्चिम बंगाल में वाहनों में आग लगा दी गई और रेल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। जामिया के छात्रों ने भी कैंपस में प्रदर्शन किया है। जामिया के चीफ प्रॉक्टर ने बताया कि प्रशासन कानूनी दायरे में जामिया के छात्रों को अपनी बात रखने का हक देता है और यह लोकतांत्रिक है। उनका कहना है कि पुलिस बिना अनुमति कैंपस में प्रवेश कर गई और छात्रों पर लाठीचार्ज किया।

वहीं, पुलिस ने बताया कि स्थानीय लोगों के हिंसक प्रदर्शन के बाद पुलिस ने उनका पीछा किया और कार्रवाई की। पुलिस के मुताबिक छात्रों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। रविवार देर रात ते दिल्ली के विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने भी विरोध प्रदर्शन किया। सोमवार को विपक्षी नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केंद्र सरकार को घेरा।

विपक्ष के नेताओं ने पुलिस ऐक्शन पर सवाल उठाते हुए गृह मंत्री अमित शाह को भी घेरा। इस दौरान कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, सीपीआई के सीताराम येचुरी, डी राजा मौजूद थे। सभी ने जामिया यूनिवर्सिटी हिंसा मामले में न्यायिक जांच की मांग की। विपक्ष के नेता राष्ट्रपति से भी मिलने वाले हैं।

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