भाजपा के अंदर उठने लगे सवाल, शाह ने दिया जवाब

नई दिल्ली/मुंबई : महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस का गठबंधन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन इन सबके बीच सियासी फिजाओं में यह सवाल अभी भी तैर रहा है कि आखिर बीजेपी ने अजित पवार पर दांव क्यों लगाया था। बीजेपी के भीतर से भी इस पर सवाल उठ रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाए हैं। अजित पवार का समर्थन लेने पर बीजेपी के नेता घुमा-फिराकर जवाब दे रहे हैं। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि विधायक दल का नेता होने के कारण पार्टी ने उन पर भरोसा किया था, हालांकि फडणवीस ‘सही समय’ पर जवाब देने की बात कहते हुए चुप्पी साध गए।

बचते दिखे फडणवीस, एकनाथ की खरीखरी
उधर, जब फडणवीस से एक बार फिर अजित पवार को लेकर सवाल किया गया तो वह साफ जवाब देने के बजाय बचते दिखे। क्या अजित पवार से हाथ मिलाना उनकी गलती थी? इस सवाल पर फडणवीस ने कहा कि वह सही वक्त आने पर सही जवाब देंगे। हालांकि, पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने स्पष्ट कहा कि बीजेपी को अजित के साथ नहीं जाना चाहिए थे। उन्होंने कहा, ‘मेरी व्यक्तिगत राय है कि बीजेपी को अजित पवार का समर्थन नहीं लेना चाहिए। वह सिंचाई घोटाले में आरोपी हैं और कई दूसरे मामले भी दर्ज हैं, इसलिए हमें उनके साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए था।’

अमित शाह बोले, इसलिए लिया अजित पवार का समर्थन
अमित शाह ने बुधवार को एक न्यूज चैनल से बाचतीत में अजित पवार से समर्थन लेने के सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘अजित पवार को एनसीपी विधायक दल का नेता चुना गया था। उन्हें सरकार बनाने के लिए अधिकृत किया था। राज्यपाल ने भी सरकार बनाने को लेकर उनसे ही बात की थी। एनसीपी ने जब पहली बार सरकार बनाने में असमर्थता जताई तो उस पत्र पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे। अब हमारे पास जो समर्थन पत्र आया, उस पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे।’ शाह ने बताया, ‘उनके समर्थन के बाद ही हमने सरकार बनाने की पहल की। उसके बाद उन्होंने समर्थन न होने की बात कहकर इस्तीफा दे दिया। इस कारण बीजेपी के पास भी बहुमत नहीं रहा।’ इस दौरान अजित पवार से जुड़े केस वापस लिए जाने के सवाल पर शाह ने कहा कि उनसे जुड़ा कोई केस वापस नहीं लिया गया है।



सीएम पद पर नहीं दिया कोई आश्वासन
इस दौरान अमित शाह ने बताया, ‘हम चुनाव में गए। हमारा शिवसेना का गठबंधन हुआ। दोनों पार्टियों को एक-दूसरे के वोट मिले। हमारे गठबंधन को बहुमत मिला। यह जनादेश सिटिंग सीएम देवेंद्र जी को मिला। कई रैलियों में हमने कहा था कि सीएम देवेंद्र जी होंगे। किसी ने कोई विरोध नहीं किया। मैं साफ करना चाहता हूं कि पहले ढाई साल छोड़ दें, सीएम पद को लेकर भी कोई आश्वासन नहीं दिया गया था। हर रैली में हमने देवेंद्र फडणवीस को सीएम कहा है। इनमें कई रैलियों में शिवसेना नेता मंच पर मौजूद थे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा। शिवसेना का कोई भी एमएलए ऐसा नहीं है, जिसने नरेंद्र मोदी जी का पोस्टर लगाकर वोट नहीं मांगे हैं। आदित्य ठाकरे ने भी लगाए थे।’



शिवसेना ने तोड़ा जनादेश
अमित शाह ने कहा कि सबसे पहले जनादेश तोड़ने का काम शिवसेना ने किया। विचारधारा और चुनावपूर्व गठबंधन के खिलाफ गए। विचारधारा को ताक पर रखा। हम पर होर्स ट्रेडिंग (विधायकों की खरीद-फरोख्त) का आरोप लगाया जा रहा है। हमने तो किसी विधायक को होटल में नहीं रखा। जोड़ तोड़कर सरकार बनाना और इसे बीजेपी की हार बताना गलत है। जनता यह बात समझती है। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की विचारधारा का जोड़ क्या है? वे हम पर होर्स ट्रेडिंग का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन उन्होंने तो सीएम पद देकर उन्होंने पूरा अस्तबल ही खरीद लिया। क्या पद का लालच खरीद-फरोख्त नहीं है।’



शिवसेना ने किया विचारधारा से समझौता
बीजेपी अध्यक्ष ने अपनी सहयोगी रही शिवसेना पर विचारधारा से समझौता करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, ‘तमाम मुद्दों पर हमारा स्टैंड साफ है। जबकि शिवसेना प्रमुख चुनाव के बाद 23 तारीख को अयोध्या में दर्शन करने जाने वाले थे, लेकिन उन्होंने सीएम बनने के लिए अपना प्लान ड्रॉप कर दिया।’

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