वर्षा जल संरक्षण और संचयन के हुए सर्वाधिक निर्माण कार्य, लेकिन पश्चिम बंगाल में वाटरशेड की पूरी नहीं हुई एक भी परियोजना

मौमिता भट्टाचार्य

कोलकाता : सदियों से हम अपने बड़े-बुजूर्गों से जल के महत्व और जल ही जीवन है, जैसे कहावत सुनते आये हैं। जल के दुरूपयोग के कारण देश के विभिन्न राज्यों में भूगर्भीय जल के घटते स्तर को लेकर पर्यावरणविदों में काफी चिंता देखी जाती है। माना जा रहा है कि यदि इसी तेजी से भूगर्भीय जल समाप्त होता रहा, तो बहुत जल्द देश के कई राज्यों के लोग पानी की भारी किल्लत से जुझेंगे। ऐसी परिस्थिति में वर्षा जल का संचयन और उनका संरक्षण करना ही जलस्तर को सामान्य बनाये रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। जल संरक्षण और संचयन के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कारगर कदम उठाएं गये हैं। देश के अन्य राज्यों से यदि पश्चिम बंगाल की तुलना की जाए तो यहां मनरेगा परियोजना के तहत जल संरक्षण और संचयन से संबंधित निर्माण कार्य तो सर्वाधिक हुए किन्तु राज्य में एक भी वाटरशेड परियोजना अभी तक पूरी नहीं हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार द्वारा जल संरक्षण और संचयन के लिए जल शक्ति अभियान की शुरूआत की गयी है। इस अभियान का मूल उद्देश्य भारत के 256 जिलों के कम भूगर्भीय जल वाले ब्लॉकों में पानी की उपलब्धता को सुधारना है।

विभिन्न केन्द्रीय परियोजनाओं के तहत हो रहा जल संचयन-संरक्षण

केन्द्र सरकार की विभिन्न परियोजनाओं जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (मनरेगा), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वाटरशेड विकास घटक (पीएमकेएसवाई-डब्ल्यूडीसी) के माध्यम से जल संचयन और संरक्षण निर्माण कार्य किया जा रहा है। केन्द्रीय परियोजनाओं के साथ-साथ विभिन्न राज्य भी जल संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं। इसमें राजस्थान सरकार द्वारा ‘मुख्यमंत्री जल स्वालंबन अभियान’, महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘जल युक्त शिबर’, गुजरात सरकार द्वारा ‘सुजलाम सुफलाम अभियान’,  तेलंगना सरकार द्वारा ‘मिशन ककातिया’ और आंध्र प्रदेश में ‘नीरू चेट्टू’ के नाम से परियोजनाएं चलायी जाती है।

मनरेगा के तहत सर्वाधिक जल संरक्षण एवं संचयन निर्माण कार्य हुए बंगाल में

केन्द्र सरकार की परियोजना मनरेगा के तहत विभिन्न राज्यों में जल संरक्षण व संचयन के लिए कई निर्माण कार्य हुए। इन निर्माण कार्यों में पश्चिम बंगाल देश भर में सबसे आगे है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देशभर में वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 3,02,478 निर्माण कार्य हुए थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में वर्ष 2018-19 के दौरान सर्वाधिक 36,688 निर्माण कार्य हुए हैं जबकि पिछले वर्ष यानी 2017-18 के दौरान यह संख्या 37,032 थी। वर्ष 2018-19 में जल संरक्षण व संचयन के लिए हुए निर्माण कार्यों में पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश में हुए जहां यह संख्या 29,543 है। तीसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है जहां पिछले वर्ष 27,107 जल संरक्षण निर्माण कार्य हुए थे। वर्ष 2017-18 के दौरान देश भर में कुल 3,70,357 निर्माण कार्य हुए।

वाटरशेड की एक भी परियोजना नहीं हुई पूरी

जल संरक्षण और संचयन के लिए सर्वाधिक निर्माण कार्य तो पश्चिम बंगाल में हुए किन्तु यदि पूरी हुई परियोजनाओं के बारे में बात की जाए तो उस मामले में पश्चिम बंगाल का अंक शुन्य है। प्राप्त जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार से पश्चिम बंगाल में वर्ष 2009-10 से 2014-15 के दौरान वाटरशेड की कुल 163 परियोजनाओं को मंजूरी तो मिली थी किन्तु नवंबर 2019 तक मिले आंकड़े बताते हैं कि इन परियोजनाओं में से एक भी परियोजना पूरी नहीं हो पायी है। बताया जाता है कि पश्चिम बंगाल में 0.693 मिलीयन हेक्टेयर क्षेत्र में वाटरशेड परियोजना के कार्य को मंजूरी दी गयी थी जिसके लिए केन्द्र सरकार ने वर्ष 2009-10 से लेकर 2019-20 तक 197.08 करोड़ रूपये की सहायता राशि प्रदान कर दी है। इस समयावधि के दौरान सर्वाधिक वाटरशेड परियोजनाएं महाराष्ट्र में पूरी हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में 5.128 मिलीयन हेक्टेयर क्षेत्र में परियोजनाएं मंजूर हुई है जिसमें देशभर में सर्वाधिक 598 वाटरशेड परियोजनाएं पूरी हो चुकी है। 

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