रामदास आठवले लाए नया फॉर्म्युला, बीजेपी को 3 और शिवसेना को 2 साल सीएम पद की पैरवी

मुंबई : महाराष्ट्र की गद्दी पर बैठने के लिए चल रही रस्साकशी के बीच बीजेपी की सहयोगी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के चीफ रामदास अठावले नया फॉर्म्युला लाए हैं। शिवसेना और बीजेपी के बीच रास्ता निकालने की बात करते हुए उन्होंने बीजेपी को 3 साल और शिवसेना को 2 साल के लिए सीएम पद दिए जाने की बात कही। आरपीआई चीफ आठवले ने सोमवार को कहा, ‘मैंने शिवसेना नेता संजय राउत से समझौते के लिए बात की है। मैंने उन्हें 3 साल (बीजेपी का सीएम) और 2 साल (शिवसेना का सीएम) के फॉर्म्युले की सलाह दी है। राउत ने कहा है कि बीजेपी अगर तैयार हो तो शिवसेना इसके बारे में विचार कर सकती है। अब मैं बीजेपी से इस बारे में चर्चा करूंगा।’

इस बीच नई दिल्ली में एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच सरकार गठन को लेकर बैठक हुई। इससे पहले आठवले ने एक दिन पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में जल्द ही बीजेपी की सरकार बनेगी। आठवले ने कहा कि अमित शाह ने उनसे कहा है कि महाराष्ट्र में जल्द सब ठीक हो जाएगा। बीजेपी और शिवसेना एक साथ आकर महाराष्ट्र में सरकार बनाएंगे।

पहले शिवसेना से की थी अपील
बता दें कि 29 अक्टूबर को आठवले ने शिवसेना से अपील की थी कि वह मुख्यमंत्री पद की अपनी मांग को ज्यादा लंबा नहीं खींचे और उसे उप मुख्यमंत्री पद लेने के लिए सहमत हो जाना चाहिए। आठवले ने उद्धव ठाकरे से अपील करते हुए कहा था कि ‘मुझे नहीं लगता कि शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद मिलेगा। लेकिन वह महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट के ज्यादा विभाग और केंद्र में एक अतिरिक्त मंत्री पद ले सकते हैं।’

फिर से चुनाव बीजेपीशिवसेना के लिए नुकसान करेंगे
आठवले ने आगे कहा, ‘अगर राज्य में (सरकार बनाने को ले कर चल रहा गतिरोध दूर न होने की स्थिति में) फिर से चुनाव होते हैं तो यह बीजेपी और शिवसेना के लिए बड़ा नुकसान होगा। बीजेपी को भी शिवसेना की मांग पर विचार करना चाहिए।’ अठावले ने कहा था कि शिवसेना का (सरकार बनाने के लिए) कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाना भी अच्छा नहीं लगेगा।

सीएम पोस्ट को लेकर जुदा हुईं शिवसेना-बीजेपी की राहें
बता दें कि 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था लेकिन सीएम पद को लेकर विवाद से दोनों की राहें जुदा हो गईं। बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी। अब शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व तो शिवसेना को समर्थन के पक्ष में है लेकिन उसकी कट्टर हिंदुत्व की छवि की वजह से कांग्रेस आलाकमान अभी भी समर्थन को लेकर दुविधा में है। माना जा रहा है कि शरद पवार सोनिया गांधी से मुलाकात कर उन्हें शिवसेना को समर्थन देने के लिए राजी करेंगे।

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