कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव और इसके परिणामों की घोषणा मतदान के दिन चुनावी धांधली होने के आरोपों से जुड़े विषयों की सुनवाई के सिलसिले में उसके (अदालत के) अंतिम आदेश पर निर्भर करेगी।
अदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी), राज्य सरकार और केंद्र सरकार को चुनावी धांधली के आरोप लगाने वाली तीन याचिकाओं पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘…चुनाव प्रक्रिया और इसके परिणामें की घोषणा इस रिट याचिका में पारित हो सकने वाले आदेशों पर निर्भर करेगी।’’
अदालत ने निर्देश दिया कि आयोग को उन सभी उम्मीदवारों को इस पहलू की सूचना देनी चाहिए, जिन्हें विजेता घोषित किया गया है।
राज्य में आठ जुलाई को हुए पंचायत चुनावों में बड़े पैमाने पर हिंसा और चुनावी धांधली होने के आरोप लगाते हुए याचिकाओं में आयोग को करीब 50,000 मतदान केंद्रों पर पुनर्मतदान कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
पुनर्मतदान 696 मतदान केंद्रों पर कराया गया और 11 जुलाई को मतगणना शुरू की गई।
एक याचिकाकर्ता ने एक वीडियो दिखाया था जिसमें मतदान के दिन कथित चुनावी धांधली को प्रदर्शित किया गया था। अदालत ने याचिकाकर्ता को इस वीडियो की प्रति आयोग, राज्य सरकार और केंद्र के वकीलों को बुधवार तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
अदालत ने निर्देश दिया कि विषय को सुनवाई के लिए 19 जुलाई को उसके समक्ष रखा जाए।
राज्य निर्वाचन आयोग के प्रति अप्रसन्नता प्रकट करते हुए पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि आयोग का जवाब पर्याप्त नहीं है और बुधवार को भी इसका कोई अधिकारी अपने वकीलों को आवश्यक निर्देश देने के लिए अदालत में उपस्थित नहीं था।
अदालत ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि आयोग क्यों पहले से सक्रिय नहीं है, खासतौर पर तब, जब अदालत पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रही है और प्रथम फैसला 13 जून को सुनाया गया था।’’
अदालत ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए सिलसिलेवार दिशानिर्देश जारी किये थे।
अदालत ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद भी राज्य हिंसा की रोकथाम नहीं कर पा रहा है।
अदालत ने कहा, ‘‘यदि राज्य सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा करने की स्थिति में नहीं है तो यह एक बहुत गंभीर विषय है।’’
बंगाल पंचायत चुनाव के नतीजे अदालत के अंतिम आदेश पर निर्भर करेंगे : कलकत्ता उच्च न्यायालय
