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अभी सोची नहीं हूं, ऐसे ही चलता रहा तो सोचना पड़ेगा-वैशाली डालमिया
हावड़ा,समाज्ञा: तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी के बाद अब विधायक वैशाली डालमिया के भी पार्टी छोड़ने को लेकर राजनीतिक गलियारों में अफवाहों का बाजार गरम हो गया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शुभेंदु अधिकारी समेत अन्य मंत्री व विधायक की तरह बाली की विधायक वैशाली डालमिया की भी तृणमूल के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से नाराजगी चल रही है। इस कारण वैशाली डालमिया ने भी अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी छोड़ने के संकेत दिए हैं। उल्लेखनीय है कि वैशाली की बाली विधानसभा क्षेत्र में वहां के 16 पूर्व तृणमूल पार्षदों को लेकर गत बुधवार को प्रशांत किशोर की टीम ने बैठक बुलाई थी, जिसमें स्थानीय विधायक को आमंत्रित नहीं किया गया था। इसके बाद गुस्साएं वैशाली डालमिया के समर्थकों और पूर्व पार्षदों में हाथापाई हो गयी। इसी मामले के बाद वैशाली डालमिया ने इन पूर्व पार्षदों को ‘गुंडा’ बताते हुए उनपर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया। साथ ही यह भी कहा कि ऐसे लोग अगर पार्टी में शामिल रहेंगे तो उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ेगी।
विधायक ने समाज्ञा को बताया कि ‘पिछले 2 सालों से इलाके के कुछ पूर्व पार्षद मेरे खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। कई दफा मेरा अपमान भी किया गया है। मुझे बाहरी बोला जा रहा है। मुझपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। लेकिन तब तो बात बस मुझ तक थी जबकि अब वे पार्टी के कार्यकर्ताओं से मारपीट पर उतर आए हैं। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।’ वैशाली डालमिया ने पीके पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘प्रशांत किशोर बहुत बड़े आदमी है। वे विधायकों से बात नहीं करते हैं। बिना विधायक के बाली के पूर्व पार्षदों के साथ बैठक करने के विषय को लेकर मैं उनसे बात करना चाहती थी लेकिन विधायकों को उनका फोन नंबर तक नहीं दिय़ा गया है। मुझे उनके स्टाफ से बात करनी पड़ती इसलिए मैंने बात नहीं की।’ विधायक ने कहा, ‘बेलूड़ मामले की जानकारी तो पीके को लगी ही होगी, तो उन्हें मुझसे बात करनी चाहिए थी। लेकिन अभी तक उनकी तरफ से संपर्क नहीं किया गया है।’ विधायक ने कहा ‘मैं अभी तक पार्टी छोड़ने के बारे में सोची नहीं हूं, लेकिन ऐसे ही चलता रहा तो सोचना पड़ेगा।’
बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसमभा चुनाव से पहले वैशाली के इस आक्रामक तेवर से राजनीतिक गलियारों में अफवाहों का बाजार गरम हो गया है। ज्ञात हो कि इससे पहले वैशाली ने खुद को ‘बाहरी’ कहे जाने पर अपनी ही पार्टी के एक वर्ग की आलोचना करते हुए कहा था कि वे तो प्रधानमंत्री को भी बाहरी व्यक्ति कहते हैं। वे नहीं जानते कि प्रधानमंत्री हमारे परिवार के प्रमुख हैं। जब कोई दूसरे राज्य से आता है तो उसे बाहरी व्यक्ति कहा जाता है। कोई स्वीकार ही नहीं करना चाहता कि भारत एक देश है। जब प्रधानमंत्री को बाहरी व्यक्ति कहा जा रहा है, तो वह कोई अपवाद नहीं हैं। वह एक सामान्य इंसान है।