3 दिसंबर नहीं बल्कि शनिवार को ही विश्वास मत का प्रस्ताव पेश कर सकती है उद्धव सरकार

मुंबई : महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तीन दलों की गठबंधन सरकार शनिवार को ही विश्वास मत का प्रस्ताव पेश कर सकती है। विधानसभा के सूत्रों की मानें तो शनिवार को ही शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार के अपना बहुमत साबित करने की संभावना है। हालांकि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए 3 दिसंबर तक का समय दिया है। बताया जा रहा है कि उद्धव सरकार जल्द से जल्द बहुमत साबित करना चाहती है जिससे मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सके। उधर, बीजेपी ने ‘डर’ की बात करते हुए निशाना साधना शुरू कर दिया है। ऐसे में नई सरकार हर आशंकाओं को जल्द खारिज करना चाहेगी।

शुक्रवार दोपहर में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने औपचारिक रूप से कार्यभार संभाल लिया। वह दोपहर 2 बजे के बाद मंत्रालय की छठी मंजिल पर स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में गए और अपना कार्यभार संभाला। कार्यालय के बाहर ‘उद्धव बाला साहेब ठाकरे’ नाम की एक प्लेट लगी है। जब वह मंत्रालय पहुंचे, तो उन्होंने भवन में छत्रपति शिवाजी महाराज की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। बांद्रा स्थित ठाकरे परिवार के निवास स्थान मातोश्री से मंत्रालय जाने के दौरान, वह रास्ते में दक्षिण मुंबई के हुतात्मा चौक पर रुके और शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

राज्य के 19वें और ठाकरे परिवार के पहले मुख्यमंत्री
इससे पहले शिवसेना अध्यक्ष ने गुरुवार शाम में महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने रात में ही पहली कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की। ठाकरे शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन ‘महा विकास अघाडी’ की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। ठाकरे के अलावा छह अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली है, जिनमें शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के दो-दो नेता शामिल हैं।


बीजेपी का हमला, डर क्यों?
उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही बीजेपी ने हमले शुरू कर दिए हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे सरकार पर शुक्रवार को निशाना साधते हुए कहा कि मंत्रिमंडल की पहली बैठक में उसने किसानों को राहत देने पर चर्चा करने के बजाय बहुमत साबित करने पर चर्चा करना जरूरी समझा। उन्होंने कहा कि अगर बहुमत नहीं था तो दावा क्यों किया। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की जनता जानना चाहती है कि शिवसेना-एनसपी-कांग्रेस का ‘महाराष्ट्र विकास आघाडी’ गठबंधन विधानसभा में बहुमत होने का दावा करने के बाद अब ‘डरा’ हुआ क्यों है।

फडणवीस ने पूछा कि अगर उनके पास पर्याप्त आंकड़े हैं तो उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर विधानसभा के कार्यवाहक अध्यक्ष को बदलने की कोशिश क्यों की। खुद के विधायकों पर इतना अविश्वास क्यों?

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