तिरुवनंतपुरमः विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर केरल सरकार और केंद्र के बीच गतिरोध कम होता नहीं दिखाई दे रहा है। सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के एक दिन बाद बीजेपी की ओर से आलोचना पर सीएम पिनरई विजयन ने बुधवार को कहा है कि राज्य विधानसभाओं के अपने विशेषाधिकार होते हैं। दूसरी तरफ केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दोहराया है कि संसद में पारित कानूनों को लागू करना राज्यों का संवैधानिक दायित्व है।
मंगलवार को केरल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने के बाद रविशंकर प्रसाद ने वाम सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री विजयन को ‘बेहतर कानूनी सलाह’ लेनी चाहिए। प्रसाद ने यह भी कहा था कि नागरिकता से जुड़े मुद्दे पर कानून बनाने की शक्ति केवल संसद के पास है केरल या किसी भी राज्य विधानसभा के पास नहीं। बुधवार को भी रविशंकर प्रसाद ने कहा यह राज्य सरकारों का संवैधानिक कर्तव्य है कि वे संसद द्वारा पारित कानूनों को लागू करें। जो राज्य कह रहे हैं कि वे अपने यहां सीएए लागू नहीं करेंगे, उन्हें ऐसा फैसला लेने से पहले उचित कानूनी राय लेनी चाहिए।
‘आजकल देश में सबकुछ मुमकिन है’
इसके बाद मंगलवार को ही बीजेपी के राज्य सभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव ने सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि संसद के विशेषाधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ केरल के सीएम के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। जब इस विषय पर केरल के सीएम पिनरई विजयन से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘राज्य विधानसभाओं के अपने विशेषाधिकार होते हैं। उनके खिलाफ ऐसी कार्यवाही तो कहीं नहीं सुनी गई। लेकिन मौजूदा समय में जब देश में अभूतपूर्व चीजें हो रही हैं तो किसी भी चीज को खारिज नहीं किया जा सकता।’ विजयन ने आगे कहा कि विधानसभाओं की अपनी विशेष सुरक्षा होती है और इसका उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।
‘राज्यपाल अलग राय रख सकते हैं’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘केरल ऐसे कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला पहला राज्य बन गया है जो संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है और इसका बहुत महत्व है।’ राज्य के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के सीएए का समर्थन करने के बारे में पूछे जाने पर, पिनरई विजयन ने कहा, ‘वह विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखने के हकदार हैं। इसलिए, उनके विचारों को उस तरह से ही देखा जा सकता है।’
और भी राज्य कर चुके हैं विरोध
गौरतलब है कि केरल मंगलवार को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करके ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इससे पहले गैर-बीजेपी शासित राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ भी ऐलान कर चुके हैं कि वे अपने यहां सीएए को लागू नहीं करेंगे।