ऑनलाइन कक्षाओं की तकनीकि समस्याएं, ना बन जाए बच्चों के जी का जंजाल
स्कूल और अभिभावकों के लिए भी है नया अनुभव : मनोवैज्ञानिक
मौमिता भट्टाचार्य
कोलकाता, समाज्ञा : रोज की तरह आज भी रोहन के घर से उसकी मम्मी की तेज आवाज सुनाई दे रही थी। पहली कक्षा के छात्र रोहन को जगाते हुए वह कह रही थी कि उसकी ऑनलाइन कक्षा शुरू हो जाएगी। वह जल्दी से उठकर तैयार हो जाए। रोहन अक्सर अपनी मम्मी से यह शिकायत करता है कि मुझे ऑनलाइन कक्षा में नहीं पढ़ना है, मैम को कुछ सुनाई ही नहीं देता है। सुबह के समय इस तरह के शोरगुल आजकल अधिकांश घरों से सुनाई देते हैं। लॉक डाउन व कोरोना वायरस की संक्रामक महामारी से बचाव के लिए राज्य सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को 10 जून तक बंद रखने की घोषणा की है। स्कूल बंद होने के कारण पढ़ाई में कोई कमी ना रह जाए, यह सोचकर सभी निजी स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाओं को शुरू किया है। किन्तु ऑनलाइन कक्षाएं लेने की आदत ना तो शिक्षक/शिक्षिकाओं को थी, ना ही स्कूल प्रबंधन इसके लिए तैयार था और ना ही प्राथमिक स्तर में पढ़ने वाले नन्हें-मुन्ने बच्चों को इसकी आदत थी। इस वजह से मुख्य तौर पर 10 वर्ष तक के आयुवर्ग वाले बच्चों को कभी तकनीकि समस्या तो कभी ऑनलाइन कक्षाओं के कारण झुंझलाहट अनुभव हो रहा है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि 10 वर्ष तक के आयुवर्ग वाले बच्चों पर ऑनलाइन कक्षाओं का जो असर हो रहा है, वह टीनएजर (13 से 19 वर्ष) बच्चों की तुलना में काफी अलग है। क्योंकि टीनएजर बच्चे विभिन्न प्रकार के गैजेट का उपयोग करने और टेक्निकल बातों से अवगत रहते हैं।
एकाग्रता की कमी और तकनीकि समस्याएं
ऑनलाइन कक्षाओं के लिए निजी स्कूल विभिन्न प्रकार के ऐप का उपयोग कर रहे हैं। जब बच्चों को शिक्षक/शिक्षिकाओं से बात नहीं करना होता है तो वे ऐप के म्यूट (मौन) का बटन दबा देते हैं। फिर जब शिक्षक/शिक्षिकाओं के प्रश्नों का जवाब देना होता तो बच्चे ऐप को अनम्यूट कर देते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि शिक्षक द्वारा पूछे गये प्रश्नों का जवाब बच्चों को पता होता है, वे उसका जवाब भी चिल्लाकर देते हैं, किन्तु शिक्षकों तक उनकी आवाज नहीं पहुंच पाती है। बाद में पता चलता है कि बच्चे ने ऐप को अनम्यूट ही नहीं किया। शिक्षक को सही जवाब नहीं बता पाने के कारण बच्चों में झुंझलाहट आने लगती है। इसके साथ ही लंबे समय तक एक स्थान पर बैठ कर पढ़ने की आदत नहीं रहने के कारण बच्चों में एकाग्रता की कमी होने लगती है और वे पढ़ने के बजाए किसी खेल में व्यस्त हो जाते हैं।
ऑनलाइन कक्षाएं अभिभावकों के लिए बेड़ियां
बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं उनके अभिभावकों के लिए जी का जंजाल बन जाती हैं। बच्चे तकनीकि रुप से अधिक जानकार नहीं होते हैं। इसलिए वीडियो का बंद हो जाना, ऐप से लॉग आउट हो जाना, अनम्यूट करना भूल जाना आदि चीजों का ध्यान रखने के लिए अभिभावकों को बच्चों के पास बैठे रहना पड़ता है। बच्चे भी अभिभावकों को पास में पाकर पढ़ाई में कम ध्यान देकर अधिक बदमाशियां करना शुरू कर देते हैं।
मनोवैज्ञानिकों की राय
बच्चों की इन समस्याओं के बारे में मनोवैज्ञानिक शुभिका सिंह का कहना है कि ऑनलाइन कक्षाएं सिर्फ बच्चों के लिए ही नया नहीं है, बल्कि यह स्कूल के लिए भी बिल्कुल नया अनुभव है। ऑनलाइन कक्षाओं के लिए स्कूल को एक प्रारुप तैयार कर लेना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि 30 मिनट का कोई क्लास होता है तो पहले 15 मिनट शिक्षक पढ़ाएंगे और बाद के 15 मिनट विद्यार्थियों के साथ बात करके उनकी समस्याओं को सुलझाया जाएगा। ऐसी एक संरचना बने रहने से विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावकों को भी सुविधा होगी, क्योंकि पूरे कक्षा के दौरान अभिभावक अपना सारा काम छोड़कर बच्चों के पास बैठकर ऐप को म्यूट या अनम्यूट नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन कक्षाएं 3-4 घंटों की होती है किन्तु बच्चों का घर में उतनी देर एक जगह पर बैठना भी संभव नहीं होता है। जब स्कूल ऑनलाइन कक्षाओं की योजनाएं बनाएं तब यह सुनिश्चित कर लें कि बीच में ब्रेक जरुर हो। शिक्षक पढ़ाते हुए अपना वीडियो रिकॉर्ड करके भी उसे भेज सकते हैं। ऐसे वीडियो की मदद से पढ़ना 10 वर्ष तक के आयुवर्ग वाले बच्चों के लिए बहुत आसान होता है। शुभिका सिंह ने कहा कि बच्चों पर पढ़ाई का दबाव नहीं देना चाहिए। स्कूलों को सबसे पहले यह समझना होगा कि सबके घरों में पढ़ाई का अच्छा वातावरण नहीं होता है। घर में कम जगह का होना, संयुक्त परिवार का होना आदि कारणों से कई बार बच्चों को पढ़ाई का अनुकूल माहौल नहीं मिल पाता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि सभी अभिभावक टेक्नो फ्रेंडली नहीं होते हैं। ऐसे अभिभावक इन तकनीकों को सीखने का प्रयास भी कर रहे हैं किन्तु उन्हें थोड़ा समय भी देना पड़ेगा। ऐसी परिस्थिति में स्कूल, अभिभावक और बच्चों सभी को अपनी समस्याएं एक-दूसरे से बांटनी पड़ेगी और इन समस्याओं का समाधान साथ मिलकर ही करना होगा।