राज्यपाल धनखड़ ने कहा सिख की पगड़ी गिराना मानवाधिकारों का घोर हनन

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पुलिस और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के दौरान एक सिख की पगड़ी कथित रूप से गिराने को “मानवाधिकारों का घोर हनन” बताया।राज्य की ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार के साथ अक्सर विवादों में रहने वाले राज्यपाल ने मंगलवार को प्रशासन से इस कार्रवाई को उचित ठहराने के बजाय ‘सुधार’ करने को कहा।


ममता बनर्जी को सिख व्यक्ति के साथ बुरे बर्ताव का संज्ञान लेना चाहिए
सोशल मीडिया पर अक्सर अपने विचार रखने वाले धनखड़ ने मंगलवार को ट्विटर पर कहा कि ममता बनर्जी नीत सरकार को सिख व्यक्ति के साथ ” बुरे बर्ताव ” को लेकर व्यापक “आक्रोश ” का संज्ञान लेना चाहिए।धनखड़ ने अपना वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि ममता बनर्जी को बलविंदर सिंह के मामले को फिर से देखना चाहिए। पश्चिम बंगाल पुलिस को न्यायोचित ठहराने के बजाय सुधार करना चाहिए। बलविंदर सिंह पश्चिम बंगाल में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का पोस्टर बॉय बन चुका है। सरकार को सिंह के साथ बुरे बर्ताव पर व्यापक रोष का संज्ञान लेना चाहिए।


शर्मनाक” बर्ताव करने के लिए पुलिस की आलोचना भी कर चुके हैं

राज्यपाल आठ अक्टूबर को सचिवालय तक मार्च के दौरान भाजपा युवा मोर्चा के साथ “शर्मनाक” बर्ताव करने के लिए पुलिस की आलोचना भी कर चुके हैं।हावड़ा में भाजपा युवा मोर्चा की रैली में पुलिस के साथ झड़प के दौरान सिंह के पास से लाइसेंसी पिस्तौल बरामद हुई थी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।झड़प के दौरान उनकी पगड़ी कथित रूप से गिर गई थी और इसका वीडियो वायरल हो गया था जिसके बाद सिख समुदाय ने प्रदर्शन किया।


गृह विभाग और पुलिस को गलत चीजों को सही नहीं ठहराना चाहिए
धनखड़ ने कहा कि अकाल तख्त ने सिंह के साथ किए बर्ताव पर आपत्ति जताई है। वह सशस्त्र बल के पूर्व कर्मी हैं और फिलहाल भाजपा के एक नेता के सुरक्षा कर्मी हैं।उन्होंने कहा कि जिन धाराओं में सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें उन्हें उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को संतुलित रुख अपनाना चाहिए और इस तरह के आरोपों को हटाकर मानवाधिकार और कानून के शासन का संकेत देना चाहिए।वीडियो में धनखड़ ने कहा कि गृह विभाग और पुलिस को गलत चीजों को सही नहीं ठहराना चाहिए और उन्हें सुधार करना चाहिए।इसी संदर्भ में राज्यपाल ने कहा कि 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद रविंद्रनाथ टैगोर ने अपनी नाइट की पदवी त्याग दी थी।

शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने साधा था निशाना

राज्य के शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने पहले आरोप लगाया था कि धनखड़ अपनी टिप्पणियों से राज्यपाल के पद को “अपमानित” कर रहे हैं और राज्य के संवैधानिक प्रमुख के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं।उन्होंने यह भी कहा था कि सिख और अन्य समुदाय पश्चिम बंगाल में सदियों से सद्भाव से रह रहे हैं और कोई भी साजिश उनके बीच में दरार नहीं डाल पाएगी।

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