टीवी चैनल देखने होगा सस्ता

12 रुपये तक होगी टीवी चैनलों की एमआरपी

न्यू दिल्ली : टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने ब्रॉडकास्टिंग और केबल सर्विसेज सेक्टर के लिए अपने टैरिफ ऑर्डर में बदलाव किया है। इसके तहत केबल कनेक्सन वाले ग्राहक कम कीमत में अधिक चैनल देख सकेंगे। पहला टैरिफ ऑर्डर पिछले साल फरवरी में लागू किया गया था। नया बदलाव पहली मार्च से लागू होगा।


टीवी चैनल बकेट एमआरपी की हदबंदी
बदलावों के अनुसार, ट्राई ने किसी भी बकेट में शामिल इंडिविजुअल चैनलों के एमआरपी की हदबंदी कर दी है। 1 मार्च से इनका एमआरपी 12 रुपये तक होगा, जो अभी 19 रुपये तक है। रेगुलेटर ने बकेट बनाने के लिए दो शर्तें भी लगाई हैं, जिनसे चैनल बकेट्स पर डिस्काउंट करीब 33 प्रतिशत तक ही रहेगा। पहली शर्त यह है कि किसी बकेट में सभी अ-ला-कार्ट चैनलों के एमआरपी का योग उस पूरे बकेट के प्राइस के डेढ़ गुने से ज्यादा नहीं हो सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई ब्रॉडकास्टर 10 चैनलों का बकेट 100 रुपये महीने पर ऑफर कर रहा हो तो सभी 10 चैनलों का कंबाइंड एमआरपी 150 रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता है। इसस ब्रॉडकास्टर्स को चैनलों के दाम और बकेट प्राइस में बदलाव करना होगा।

3 गुना से ज्यादा नहीं होगा प्राइस
दूसरी शर्त यह है कि किसी भी अ-ला-कार्ट चैनल का एमआरपी उस बकेट के किसी भी चैनल के ऐवरेज प्राइस के तीन गुने से ज्यादा नहीं हो सकता है। मसलन, अगर किसी बकेट में चैनलों का ऐवरेज प्राइस 3 रुपये है (बकेट प्राइस के एमआरपी में उस बकेट के सभी चैनलों की संख्या से भाग देने पर हासिल) तो उस बकेट के किसी भी एक चैनल का एमआरपी 9 रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता है।

चैनल बकेट्स की सीमा भी तय
इससे पहले ब्रॉडकास्टर्स कन्ज्यूमर्स को चैनल बकेट्स पर उन बकेट्स के सभी चैनलों के टोटल अ-ला-कार्ट प्राइस के मुकाबले 35-55% का ऐवरेज डिस्काउंट दे रहे थे। ट्राई ने कहा था कि ब्रॉडकास्टर्स ने बकेट डिस्काउंट्स में लचीलेपन का दुरुपयोग किया। ट्राई ने ब्रॉडकास्टर के डिस्ट्रिब्यूशन वाले चैनलों की कुल संख्या के हिसाब से प्रति ब्रॉडकास्टर बकेट्स की कुल संख्या की सीमा भी तय कर दी है। इस तरह अगर किसी ब्रॉडकास्टर के पास 12 चैनल हों तो वह 12 से ज्यादा बकेट्स ऑफर नहीं कर सकता है।

एनसीएफ के लिए दो स्लैब्स
ट्राई ने नेटवर्क कपैसिटी फीस (एनसीएफ) के लिए दो स्लैब्स भी बना दिए हैं। 200 चैनलों तक के लिए 130 रुपये महीने और 200 से ज्यादा चैनलों के लिए 160 रुपये। कस्टमर अभी 100 तक चैनलों के लिए 130 रुपये का एनसीएफ चुकाते हैं और इससे आगे हर 25 चैनल के लिए 20 रुपये अतिरिक्त देते हैं।

अनिवार्य चैनल नहीं होंगे एनसीएफ का हिस्सा
इसके अलावा नियामक ने फैसला किया है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जिन चैनलों को अनिवार्य घोषित किया है, उन्हें एनसीएफ चैनलों की संख्या में नहीं गिना जाएगा। इसके अलावा ट्राई ने वितरण प्लेटफार्म परिचालकों (डीपीओ) को लंबी अवधि यानी छह महीने अथवा अधिक के सब्सक्रिप्शन पर रियायत देने की भी अनुमति दे दी है। साथ ही, एक से ज्यादा टीवी वाले घरों में दूसरे कनेक्शन पर एनसीएफ पहले कनेक्शन के 40% से ज्यादा नहीं हो सकेगा।

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