उत्तर प्रदेश ने शुरू की कामकाजी बच्चों के लिए ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने परिवार की विषम परिस्थितियों के कारण बाल श्रम कर रहे कामकाजी बच्चों और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता मुहैया कराने के लिए ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ का शुक्रवार शुभारंभ किया।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां अपने सरकारी आवास पर अन्तरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर प्रदेश में पारिवारिक विषम परिस्थितियों के कारण बाल श्रम कर रहे कामकाजी बच्चों व उनके परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराये जाने के लिए ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ का शुभारम्भ किया ।
योगी ने बताया कि यह एक ‘सशर्त नकद अंतरण योजना’ है। इसका उद्देश्य कामकाजी बच्चों को बाल श्रम से अलग कर शिक्षा से जोड़ना है। उत्तर प्रदेश, देश का ऐसा एकमात्र राज्य है, जो कामकाजी बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने हेतु इस प्रकार की योजना लागू कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे परिवारों को उनके बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए बाल श्रमिक विद्या योजना के अन्तर्गत बाल श्रम से अलग कर शिक्षा से जोड़ा जाना है। इस योजना के माध्यम से बालक को प्रतिमाह 1,000 रुपये तथा बालिकाओं को 1,200 रुपये दिए जाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही ऐसे बच्चों द्वारा कक्षा आठ, नौ और दस उत्तीर्ण करने पर प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन धनराशि दिए जाने की भी व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि वास्तव में श्रमिक इस समाज का अत्यन्त स्वाभिमानी वर्ग है, जिसने अपने श्रम से समाज और राष्ट्र निर्माण की आधारशिला रखी। उन्हें एक नया जीवन देना, उनके जीवन में बेहतरी लाने का प्रयास करना शासन की जिम्मेदारी है। शासन की सभी योजनाओं के माध्यम से इन सभी परिवारों के जीवन में खुशहाली लाने का प्रयास किया जा रहा है।
योगी ने कहा कि उज्ज्वला योजना के माध्यम से निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन हो या उजाला योजना के माध्यम से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की कार्यवाही, ऐसे विभिन्न प्रयासों से जब सभी लोग मिलकर आगे बढ़ते हैं, तो हम इन्हें स्वावलम्बन की ओर अग्रसर करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ बच्चे ऐसे हैं, जो मजबूरी में बाल श्रम करते हैं। बच्चे जब बचपन में ही अपने पारिवारिक खर्चे के लिए मजदूरी करने को मजबूर होते हैं, तो इससे न केवल बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, बल्कि इससे समाज व राष्ट्र की भी अपूरणीय क्षति होती है।

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