कोलकाता : जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा हैं, ऐसा लगता है कि तृणमूल में विद्रोह का स्वर तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ दलबदल भी हो रहे हैं। हाल ही में तृणमूल विधायक मिहिर गोस्वामी भाजपा में शामिल हो गए हैं। तृणमूल के हेविवेट मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने भी तृणमूल से इस्तीफा दे दिया है। अब उनके दलबदल की अटकलों को लेकर राज्य की राजनीति उथल-पुथल में है। शीलभद्र दत्त, अतीन घोष सभी के गले में विद्रोह की धुन है। इस बार राज्य के वन मंत्री व डोमजूड़ के विधायक राजीव बनर्जी ने भी विरोधी स्वर बोले हैं। वन मंत्री ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया।
राजीव बनर्जी ने कहा, “टीम की सराहना करने वालों को अधिक नंबर मिलते हैं। मेरा स्कोर कम है क्योंकि मैं ये नहीं कर सकता।” उन्होंने शुभेंदु अधकारी के पार्टी बदलने की अटकलों के पर भी अपना मुंह खोला। वन मंत्री ने दावा किया, “अगर शुभेंदु अधिकारी पार्टी छोड़ देते हैं तो, तो पार्टी में एक बड़ा रिक्त स्थान पैदा हो जाएगा।” उन्होंने पार्टी नेतृत्व को आत्मनिरीक्षण करने की सलाह देते हुए कहा, “यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि इतने सारे नेताओं में एकसाथ विरोध क्यों हैं। यह सब पहले से सोचा जाना चाहिए था।” उन्होंने आगे कहा, “खेतों में काम करने वालों को प्राथमिकता नहीं मिलती है। केवल पॉवर में रहने वालों को पार्टी में जगह मिल रही है।”
इधर राजीव बनर्जी की असहमति वाली टिप्पणियों ने स्वाभाविक रूप से तृणमूल में बेचैनी बढ़ा दी है। इस मुद्दे पर शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने अपना मुंह खोला। उन्होंने कहा, “राजीव बनर्जी एक मंत्री के रूप में अच्छा कर रहे हैं। हमारे छोटे भाई की तरह है। जब ममता बनर्जी पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं, तो किसी के लिए चिंता का कोई कारण नहीं है। वह सब कुछ देख रही हैं। सबका भला सोचती हैं।” हालांकि, विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल के भीतर विद्रोह का स्वर भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। भाजपा का दावा है कि दिसंबर में सत्ताधारी पार्टी के कई लोग बीजेपी में शामिल होंगे।
तृणमूल में विद्रोह का स्वर तेज, अब वनमंत्री ने गुस्सा जाहिर किया
