रिमोट कंट्रोल से बैटरी निकालकर संविधान के अनुसार करें कार्य : धनखड़

कलकत्ता विश्वविद्यालय का परिदर्शन करने पहुंचे राज्यपाल

राज्यपाल का स्वागत करने ना पहुंची वीसी ना अन्य कोई अधिकारी

वीसी का कमरा तालाबंद, बाहर बैठकर मांगनी पड़ी चाय

कोलकाता : गुरूवार को कलकत्ता विश्वविद्यालय (सीयू) की सेनेट की बैठक को अचानक स्थगित कर दिया गया। यह बैठक दोपहर 2 बजे सीयू के कॉलेज स्ट्रीट स्थित प्रशासनिक भवन में होने वाली थी। इस बैठक में राज्यपाल और आचार्य जगदीप धनखड़ के साथ वीसी सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी व अन्य अधिकारियों के साथ दीक्षांत समारोह को लेकर बातचीत होने वाली थी। किन्तु बैठक से ठीक एक दिन पहले यानी 3 दिसंबर को राजभवन को सूचित किया गया कि अपरिहार्य कारणों से सेनेट की बैठक को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद गुरूवार की सुबह में राज्यपाल ने वीसी सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी को सूचित करवाया कि वे सीयू परिदर्शन के लिए दोपहर 2 बजे जाने वाले हैं। इसके बावजूद राज्यपाल का स्वागत करने के लिए ना वीसी, ना प्रो-वीसी और ना ही कोई अन्य अधिकारी सीयू परिसर में उपस्थित रहा। वीसी का कमरा भी तालाबंद था और कमरे की चाभी कहां है, इस बारे में किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी। नतीजन राज्यपाल को वीसी के कमरे के बाहर ही बैठना पड़ा। उनसे किसी ने चाय के लिए भी नहीं पूछा। राज्यपाल द्वारा मांगने पर उन्हें चाय दी गयी। वहीं दूसरी तरफ लाइब्रेरी में ना तो लाइब्रेरियन उपस्थित थे और ना ही कोई अन्य अधिकारी।

वीसी के तालाबंद कमरे के सामने राज्यपाल जगदीप धनखड़

विश्वविद्यालय परिदर्शन कर बाहर निकलकर राज्यपाल ने इसे लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। गुरूवार को जब राज्यपाल वीसी के कमरे में पहुंचे तो बताया गया कि वीसी उस दिन विवि में आयी ही नहीं हैं। प्रो-वीसी भी कुछ देर के लिए आकर चले गये हैं। इसके बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए राज्यपाल जगदीप धनखड़ नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मुझसे पहले आवेदन किया गया था कि 4 दिसंबर को होने वाली सेनेट की बैठक में मौजूद रहकर मैं उसकी अध्यक्षता करूं। विवि के आचार्य के तौर पर यहां शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना मेरा दायित्व है। इसलिए मैं अध्यक्षता करने के लिए तैयार हो गया। इस आधार पर ही 29 नवंबर को राजभवन से एक विज्ञप्ति भेजी गयी। यह विज्ञप्ति सेनेट के 102 सदस्यों को विवि की तरफ से नोटिस भेजने के अगले दिन ही भेजी गयी। मुझे लगा था कि यह विश्वविद्यालय के साथ बातचीत करने का मौका है। मेरे ऑफिस के लोगों को बुधवार को यह जानकार आश्चर्य हुआ कि सेनेट की बैठक को अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुझे यह बहुत हास्यास्पद लगा कि सेनेट के 102 सदस्यों को आमंत्रित करने और बैठक की अध्यक्षता करने के लिए राज्यपाल के राजी होने के बाद इस प्रकार एक छोटे से नोटिस में बैठक के स्थगित हो जाने की सूचना दी गयी। राज्यपाल ने कहा कि बैठक के स्थगित होने की सूचना मिलने के तुरंत बाद उन्होंने वीसी और रजिस्ट्रार को उनसे मिलने के लिए कहा। इसके जवाब में उनसे कहा गया कि राज्य के शिक्षा विभाग की तरफ वीसी को निर्देश दिया गया है कि वे राज्यपाल से ना मिलें। मैं निश्चित हूं कि ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने किसी विवि के वीसी को निर्देश दिया है कि वे आचार्य से ना मिले। आचार्य जिनके पास यह अधिकार तक होता है कि वे वीसी के खिलाफ डिसीप्लीनरी कार्रवाई तक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह समय सीयू के लिए ही रखा हुआ था। इसलिए मैंने सुबह में वीसी को संदेश भिजवाया कि दोपहर 2 बजे सीयू आउंगा। अविश्वसनिय तरीके से इसके बाद ही मोबाइल अनरिचबल हो गया, लैंड फोन ने काम करना बंद कर दिया और ई-मेल वापस लौट आया। सीयू पहुंचने के बाद उनका स्वागत नहीं करने के विषय में राज्यपाल ने कहा कि मैं खुद प्रोटोकॉल ओरिएंटेड व्यक्ति नहीं हूं किन्तु राज्यपाल और आचार्य हैं। हो सकता है कि किसी कारणवश वीसी का कमरा तालाबंद है। उन्होंने कहा कि यहां के कर्मचारियों से मुझे कोई शिकायत नहीं है। उन लोगों ने मेरे मांगने पर मुझे एक कप चाय दी।

* हाथ जोड़कर करता हूं विनती

राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि मैं सरकार से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि विश्वविद्यालयों का राजनीतिकरण ना करें। सभी वीसी को कानून मानकर चलने दें। सभी की अपनी-अपनी भूमिका है। उसे पालन करने दें। उन्होंने कहा कि मैं दो बार सिलीगुड़ी गया था और वहां जिलाधिकारी नहीं मिले। मैं 9 जिलाओं में गया और हर जगह वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपरिहार्य कारणों से नहीं आ सके। मगर मैं उनकी स्थिति को समझ सकता हूं। मुझे पता है कि उनको नियंत्रित किया है। हो सकता है कि उनका दम घुटता हो।

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