मोदी फिर बने प्रधानमंत्री, पांच सहयोगी दलों के एक-एक सदस्यों को मिली मंत्रिमंडल में जगह

नयी दिल्ली,: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र मोदी ने रविवार को लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। अपने पिछले दो कार्यकालों में पूर्ण बहुमत की सरकार का नेतृत्व करने वाले मोदी इस दफा, हालांकि गठबंधन सरकार की अगुआई करेंगे।
वह एक ऐसे मंत्रिमंडल का नेतृत्व करेंगे जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगियों को शामिल कर पुरस्कृत किया गया है और साथ ही पूर्ववर्ती सरकार में शामिल रहे वरिष्ठ नेताओं के अनुभवों पर भरोसा जताया गया है।
मोदी के साथ, राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रपति भवन में कैबिनेट मंत्रियों के रूप में शपथ ली।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मोदी और 30 कैबिनेट मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
सफेद कुर्ता एवं चूड़ीदार पायजामा तथा नीली जैकेट पहने 73 वर्षीय मोदी ने ईश्वर के नाम पर शपथ ली। जवाहरलाल नेहरू के बाद मोदी लगातार तीसरी बार यह उपलब्धि हासिल करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री हैं।
हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में, भाजपा बहुमत हासिल करने में विफल रही। इस वजह से वह उन सहयोगी दलों पर निर्भर हो गई, जिनके सांसदों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।
जद (एस) नेता एच डी कुमारस्वामी, हम (सेक्युलर) प्रमुख जीतन राम मांझी, जद (यू) नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ‘ललन’, तेदेपा के राम मोहन नायडू और लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया। इन पांच सहयोगियों में से प्रत्येक को एक-एक कैबिनेट बर्थ मिला है। कुमारस्वामी और मांझी क्रमश: कर्नाटक और बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
भाजपा के अध्यक्ष जे पी नड्डा पांच साल बाद कैबिनेट में लौटे हैं, जबकि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर मोदी कैबिनेट में नए चेहरे हैं।
भाजपा नेता पीयूष गोयल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। ये सभी नेता पहले राज्यसभा में थे, लेकिन अब लोकसभा के लिए चुने गए हैं।
असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, अश्विनी वैष्णव, वीरेंद्र कुमार, प्रह्लाद जोशी, गिरिराज सिंह, जुएल ओरांव, सी आर पाटिल, मनसुख मांडविया, जी किशन रेड्डी, हरदीप सिंह पुरी, किरण रीजीजू, अन्नपूर्णा देवी और गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई है। उसे 240 सीट मिली हैं। हालांकि, भाजपा-नीत राजग ने 293 सीट के साथ बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया। इसके बाद राजग की बैठक में मोदी को पिछले दिनों भाजपा और राजग संसदीय दल का नेता चुना गया था।
नेता चुने जाने के बाद मोदी ने राष्ट्रपति भवन जाकर द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी और सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
शपथ ग्रहण समारोह में देश और विदेश के कई शीर्ष नेता भी शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे भी इस मौके पर मौजूद थे, हालांकि कई विपक्षी नेता समारोह में शामिल नहीं हुए।
इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, तेदेपा अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू और जद(यू) प्रमुख नीतीश कुमार भी मौजूद थे।
बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान, रजनीकांत, उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने वालों में शामिल थे।
शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे सहित भारत के पड़ोस और हिंद महासागर क्षेत्र के कई शीर्ष नेता मौजूद थे।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ, उनके भूटानी समकक्ष शेरिंग टोबगे, बांग्लादेश की राष्ट्रपति शेख हसीना और सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफीफ भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
विदेशी नेताओं में मुइज्जू की यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यह भारत और मालदीव के बीच संबंधों में जारी तनाव के बीच हुई है।
क्षेत्रीय समूह ‘दक्षेस’ (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) देशों के नेताओं ने मोदी के पहले शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था, जब उन्होंने (मोदी ने) भाजपा की शानदार चुनावी जीत के बाद प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था।
मोदी जब 2019 में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तो उनके शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक देशों के नेता शामिल हुए थे।
इस बार, मोदी और नयी मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में राजनीतिक नेताओं और समाज के विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों के अलावा ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के साथ ही सफाई कर्मचारी और मजदूर भी शामिल हुए।
इस भव्य आयोजन के लिए राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में लगभग 9,000 लोग उपस्थित थे।

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