37 वर्षों की शानदार सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए बीएसएफ आइजी गुलेरिया

  • बांग्लादेश सीमा से मवेशी तस्करी बंद कराने में गुलेरिया की रही है अहम भूमिका
  • सेवानिवृत्ति पर पूर्वी कमान मुख्यालय में दी गई भव्य विदाई
  • असाधारण कार्यों के लिए तीन बार राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी हुए अलंकृत

कोलकाता : बीएसएफ के पूर्वी कमान मुख्यालय, कोलकाता में आइजी (आपरेशन) के पद पर तैनात सुरजीत सिंह गुलेरिया सीमा सुरक्षा बल में 37 वर्षों की शानदार सेवा के बाद 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो गए। एक वरिष्ठ बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि अपने लंबे व शानदार करियर में गुलेरिया ने कश्मीर में आतंकियों के दांत खट्टे करने से लेकर बंगाल में भारत- बांग्लादेश सीमा से मवेशियों की तस्करी बंद कराने और 2001-02 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन-कोसोवो तक विभिन्न महत्वपूर्ण अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गुलेरिया 1987 में सहायक कमांडेंट के रूप में बीएसएफ में शामिल हुए थे और अपने करियर में उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों व दुर्गम मोर्चों पर सेवाएं दी। दो माह पहले फरवरी में ही उनका महानिरीक्षक (आइजी) पद पर प्रमोशन हुआ था। मूलरूप से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा तहसील के खैरिया गांव के रहने वाले गुलेरिया बीएसएफ में सबसे ईमानदार, तेजतर्रार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों में गिने जाते थे। उन्होंने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के शुरुआती दौर में ड्यूटी करने से लेकर पंजाब, राजस्थान और बंगाल सीमा पर महत्वपूर्ण योगदान दिया। बंगाल में उन्होंने लंबे समय तक सेवाएं दी। वीरता व असाधारण कार्यों के लिए गुलेरिया तीन बार राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी अलंकृत हुए। सेवानिवृत्ति पर उन्हें भव्य विदाई दी गईं। कार्यक्रम में पूर्वी कमान के एडीजी रवि गांधी समेत सभी रैंकों के अधिकारियों व कर्मियों ने उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सराहना की।

2019 में बंगाल में तैनाती के बाद से रूकी मवेशी तस्करी

गुलेरिया की उल्लेखनीय उपलब्धियों में 2019 में बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, कोलकाता में डीआइजी (जी) के रूप में उनकी तैनाती के बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करी के खिलाफ की जाने वाली सफल कार्रवाई थी। 2019 से जुलाई, 2022 तक यहां डीआइजी (जी) के रूप में अपने कार्यकाल में मवेशी तस्करी सहित सभी प्रकार की अवैध गतिविधियों पर उन्होंने शिकंजा कस दिया। उन्होंने गायों की तस्करी पूरी तरह बंद कराकर तस्करों की कमर तोड़कर रख दी।पहले भारत से बांग्लादेश में 70 प्रतिशत तक मवेशी तस्करी इसी सीमा से होती थी।उन्होंने मिलीभगत के मामलों में बीएसएफ कर्मियों की संलिप्तता को भी नजरअंदाज नहीं किया और ऐसे मामलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। दक्षिण बंगाल सीमा पर मवेशी तस्करी को प्रभावी ढंग से समाप्त किया जाना वर्तमान में भी जारी है। डीआइजी (जी) के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान भारी मात्रा में सोना, चांदी और अन्य नशीले पदार्थ और प्रतिबंधित वस्तुएं भी जब्त की गईं।

उत्कृष्ट सेवा के लिए कई बार हुए सम्मानित

उत्कृष्ट सेवा के लिए गुलेरिया को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जिसमें 2008 में सराहनीय सेवा के लिए और 2016 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक शामिल हैं। 2017 में श्रीनगर के हुमामा कैंप में आतंकवादियों के आत्मघाती हमले को विफल करने तथा जैश के दुर्दांत आतंकवादियों को ढेर करने के लिए वर्ष 2021 में उन्हें वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया। कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए उन्हें 20 बार महानिदेशक (डीजी) के प्रशस्ति पत्र से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा गुलेरिया ने अन्य अनुकरणीय उपलब्धियां भी हासिल की हैं। 1994 में ईएमई 1 (सेना), सिकंदराबाद में छोटे हथियारों में इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्वर्ण पदक, 1991 में भारत सरकार द्वारा युद्ध कार्रवाई के लिए ‘घाव पदक’ और 2022 में ‘हैक्स इवेंट’ में ’41वीं अखिल भारतीय पुलिस घुड़सवारी चैम्पियनशिप’ में स्वर्ण पदक शामिल है।

बीएसएफ अधिकारियों की भावी पीढिय़ों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत

बीएसएफ ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा में उनका योगदान और कर्तव्य के प्रति समर्पण बीएसएफ अधिकारियों की भावी पीढिय़ों के लिए प्रेरणा का काम करेगी।ईमानदारी, बहादुरी और प्रतिबद्धता की उनकी विरासत बल के रैंकों के भीतर गूंजती रहेगी, जो सीमा सुरक्षा बल को परिभाषित करने वाले उत्कृष्ट मूल्य मूल्यों को दर्शाती है।

आपदा राहत कार्यों का भी किया नेतृत्व

गुलेरिया को कोलकाता और बिहार के बिहटा, पटना में एनडीआरएफ की दो बटालियनों को स्थापित कराने का भी श्रेय प्राप्त है। प्रतिनियुक्ति पर एनडीआरएफ में तैनाती के दौरान गुलेरिया ने देश भर में कई मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों का नेतृत्व किया, जैसे चक्रवात-फैलिन, जम्मू और कश्मीर शहरी बाढ़-2014, चक्रवात हुदहुद 2014, और चेन्नई बाढ़-2015, इस दौरान उन्होंने कई कीमती जिंदगियां बचाईं।

गांव से हुई हुई प्रारंभिक शिक्षा, बेस्ट एथलीट भी रहे

गुलेरिया ने प्रारंभिक शिक्षा हिमाचल प्रदेश में अपने गांव के स्कूल खैरिया और हरिपुर में ही प्राप्त की। इसके बाद डीएवी कालेज कांगड़ा से बीएससी और गवर्नमेंट कालेज धर्मशाला से उन्होंने बीएड की शिक्षा प्राप्त की। गुलेरिया की खेल में भी काफी रूचि रही है। कालेज टाइम में गुलेरिया अपने कालेज (डीएवी, कांगड़ा) के बेस्ट एथलीट रहे हैं। इसके अलावा शाटपुट और डिस्कस थ्रो में वह हिमाचल यूनिवर्सिटी, शिमला के तीन साल तक चैंपियन रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *