हावड़ा में तृणमूल के सामने अपना किला बचाने की चुनौती,भाजपा से मिल रही कड़ी टक्कर

जानिए अपना संसदीय क्षेत्र : हावड़ा सदर

दिलचस्प लड़ाई

  • तृणमूल कांग्रेस के वर्तमान व पूर्व नेता हैं आमने-सामने
  • तृणमूल के प्रसून बनर्जी के खिलाफ भाजपा की तरफ से पूर्व मेयर रथिन चक्रवर्ती मैदान में
  • लंबे समय तक एक ही पार्टी में रहे दोनों नेता एक-दूसरे को दे रहे हैं चुनौती
  • बंगाल के सबसे महत्वपूर्ण व पुराने शहरों में हावड़ा की होती है गिनती
  • पूरे बंगाल में हावड़ा से ही चलता है शासन

कुल मतदाता : 16,33,207
2019 में पड़े वोट : 12,22,708
मतदान प्रतिशत : 74.83

सात विधानसभा क्षेत्र ::
बाली, हावड़ा उत्तर, हावड़ा मध्य, शिवपुर, हावड़ा दक्षिण, सांकराइल और पांचला

मौजूदा सांसद प्रसून बनर्जी का रिपोर्ट कार्ड : 2019- 2024
संसद में उपस्थिति : 73 प्रतिशत
सवाल पूछे : 82
बहस में हिस्सा : 21

ये मैच मैं जीतूंगा। हम फुटबालर हैं। खेला होगा। मैदान में देखेंगे, किस में कितना जोर है। दो बाल इधर-उधर होगा, पर मैं 10 गोल मारकर मैच जीत लूंगा।- प्रसून बनर्जी, सांसद और तृणमूल उम्मीदवार।

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के सबसे प्रमुख व पुराने शहरों में हावड़ा की गिनती होती है, जो राजधानी कोलकाता से बिल्कुल सटा हुआ है। इसे कोलकाता का जुड़वा शहर भी कहा जाता है। कोलकाता को हावड़ा से जोडऩे वाली हुगली नदी पर बने हावड़ा ब्रिज की ख्याति पूरी दुनिया में है। हावड़ा रेलवे स्टेशन की भी देश में एक अलग पहचान है जो पूरे भारत को रेल लाइन से जोड़ती है। हावड़ा से कोलकाता के एस्प्लेनेड के बीच हुगली (गंगा) नदी के नीचे बनी टनल से होकर गुजरने वाली देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो भी यहां हाल में शुरू हुई है। यही नहीं राज्य में 2011 में ममता बनर्जी की अगुवाई में सत्ता परिवर्तन के बाद से हावड़ा से ही पूरे पश्चिम बंगाल में शासन भी चलता है। यानी नया राज्य सचिवालय नवान्न हावड़ा में ही है। एक जमाने में बड़ी संख्या में कल कारखानों के लिए भी हावड़ा की अलग पहचान रही है। हावड़ा जिले में दो लोकसभा सीटें हैं। इनमें शहरी क्षेत्रों को लेकर हावड़ा सदर सीट जबकि ग्रामीण अंचल को लेकर उलबेडिय़ा सीट। इन दोनों सीटों पर 2009 से ही सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। जिले की सभी 14 विधानसभा सीटों पर भी इस समय तृणमूल का ही कब्जा है। 2011 में सत्ता परिवर्तन के बाद से तृणमूल ने हावड़ा को अपने मजबूत किले के तौर पर स्थापित कर लिया है। इन सबके बीच महत्वपूर्ण हावड़ा सदर लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला है। इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस के ही दो दिग्गज (वर्तमान व पूर्व नेता) आमने-सामने हैं। तृणमूल की तरफ से जहां निर्वतमान सांसद व अर्जुन पुरस्कार विजेता पूर्व फुटबालर प्रसून बनर्जी फिर से मैदान में हैं। वहीं, भाजपा ने इस सीट से उनके खिलाफ पूर्व तृणमूल नेता डा रथिन चक्रवर्ती को उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है, जो हावड़ा नगर निगम के पूर्व मेयर रह चुके हैं। पेशे से प्रसिद्ध होमियोपैथी चिकित्सक डा चक्रवर्ती 2021 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए थे।

भाजपा दे रही कड़ी टक्कर

इससे पहले वे हावड़ा में तृणमूल के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। लंबे समय तक एक ही पार्टी में रहे दोनों नेता इस बार यहां एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। तृणमूल के सामने जहां अपना दुर्ग बचाने की चुनौती है, वहीं पिछले कुछ चुनावों में मजबूती से उभरी भाजपा तृणमूल की जीत के चौके को रोकने के लिए यहां कड़ी टक्कर दे रही है।
वहीं, माकपा के टिकट पर इस सीट से सब्यसाची चटर्जी मैदान में हैं, जो पेशे से कलकत्ता हाई कोर्ट में वकील हैं। एक समय कांग्रेस व वाममोर्चा का गढ़ रहे हावड़ा में माकपा लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है। हावड़ा में पांचवें चरण में 20 मई को मतदान है।

2009 से हावड़ा सीट पर तृणमूल का कब्जा

1952 से 1998 तक इस सीट पर कभी कांग्रेस का तो कभी वामपंथियों का कब्जा रहा। साल 1998 में पहली बार यहां तृणमूल को जीत मिली थी। हालांकि इसके एक साल अंदर ही 1999 के आम चुनाव में माकपा ने दोबारा यह सीट जीत ली थी। 2004 में भी माकपा ने ही यहां से जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2009 में इस सीट से तृणमूल के टिकट पर अंबिका बनर्जी ने जीत हासिल की थी। उनके निधन के बाद 2013 में हुए उपचुनाव में तृणमूल के टिकट पर पूर्व फुटबालर प्रसून बनर्जी विजय हुए थे। इसके बाद उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला 2014 और 2019 के अगले दो आम चुनावों में भी कायम रखा। उपचुनाव को लेकर प्रसून इस सीट से लगातार तीन बार जीत चुके हैं।

पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी भाजपा

2019 के पिछले चुनाव में प्रसून बनर्जी ने भाजपा के रंतिदेव सेनगुप्ता को एक लाख तीन हजार 695 वोटों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी। प्रसून को पांच लाख 76 हजार 711 वोट मिले थे जबकि भाजपा के रंतिदेव सेनगुप्ता चार लाख 73 हजार 16 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। माकपा के सौमित्र अधिकारी एक लाख पांच हजार 547 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, कांग्रेस के शुभ्र घोष 32 हजार 107 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल उम्मीदवार प्रसून बनर्जी ने करीब दो लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। प्रसून बनर्जी को चार लाख 88 हजार 461 मिले थे। दूसरे स्थान पर रहे माकपा के श्रीदीप भट्टाचार्य को दो लाख 91 हजार 505 वोट मिले थे। वहीं तीसरे स्थान पर रहे भाजपा के जार्ज बेकर को दो लाख 48 हजार 120 वोट मिले थे। हालांकि 2019 में यहां भाजपा ने माकपा को पछाड़कर दूसरा स्थान हासिल किया।

हावड़ा में 25 प्रतिशत से अधिक हिंदीभाषी मतदाता

इस लोकसभा क्षेत्र में 25 प्रतिशत से ज्यादा गैर-बंगाली मतदाता हैं। यानी इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हिंदीभाषी मतदाता हैं। जिनमें अधिकांश बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से हैं। हावड़ा लोकसभा के अंतर्गत सात विधानसभा क्षेत्र हैं। जिसमें बाली, हावड़ा उत्तर, हावड़ा मध्य, शिवपुर, हावड़ा दक्षिण, सांकराइल और पांचला है। 2021 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सात सीटों पर तृणमूल ने जीत दर्ज की थी।

हावड़ा सीट का इतिहास, प्रियरंजन दासमुंशी भी दो बार यहां से जीते थे

हावड़ा के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 1952 में पहले आम चुनाव में यहां कांग्रेस के संतोष कुमार दत्ता ने जीत हासिल की थी। इसके बाद अगले दो आम चुनावों में माकपा के मोहम्मद इलियास विजयी हुए। 1967 में एक बार फिर कांग्रेस ने जीत हासिल की। लेकिन फिर 1971 से लेकर 1980 तक के चुनाव में माकपा के समर मुखर्जी विजयी हुए। 1984 के चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रियरंजन दासमुंशी यहां से जीते। लेकिन फिर अगले दो चुनावों में माकपा को जीत मिली। इसके बाद 1996 के आम चुनाव में कांग्रेस के प्रियरंजन दासमुंशी फिर जीते। यानी इस सीट पर हमेशा से वाममोर्चा और कांग्रेस के बीच लड़ाई होती रही। 1998 में पहली बार इस सीट से तृणमूल के टिकट पर विक्रम सरकार विजयी हुए थे। फिर 1999 और 2004 में माकपा के स्वदेश चक्रवर्ती ने जीत हासिल की। 2009 से तृणमूल लगातार यहां से जीतती आ रही है।

तृणमूल को आपसी गुटबाजी पड़ सकती है भारी

हावड़ में दो कारणों से इस बार तृणमूल के वर्तमान सांसद प्रसून बनर्जी के लिए मुकाबला कठिन होने की संभावना है। इसकी पहली वजह विपक्ष का मजबूत उम्मीदवार यानी भाजपा के टिकट पर लड़ रहे तृणमूल के पूर्व नेता डा रथिन चक्रवर्ती। और दूसरा इलाके में तृणमूल के भीतर तीव्र आंतरिक गुटबाजी है। दरअसल, मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के छोटे भाई बाबुन बनर्जी ही प्रसून बनर्जी को यहां से दोबारा टिकट दिए जाने का विरोध कर चुके हैं। यहां तक कि प्रसून के नाम की घोषणा के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लडऩे तक की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ममता ने अपने भाई के साथ सभी संबंध तोडऩे की घोषणा कर दी। हालांकि ममता की नाराजगी के बाद बाबुन ढीले पड़ गए थे। उन्होंने माफी मांगते हुए पार्टी हित में काम करने की बात की थी। दरअसल, बाबुन इस बार काफी समय से हावड़ा से टिकट की जुगाड़ में जुटे थे। इस बीच बंगाल में चुनाव में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है। भाजपा और माकपा के उम्मीदवार अपने अभियानों के दौरान भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बना रहे हैं, जो प्रसून बनर्जी के लिए परेशानी का कारण हो सकता है।

हावड़ा में बेलूर मठ जैसे दर्शनीय स्थल भी हैं

हुगली नदी के किनारे स्थित हावड़ा में पर्यटकों के लिए प्रमुख दर्शनीय स्थलों में हावड़ा ब्रिज के अलावा विख्यात बेलूर मठ भी स्थित है। रामकृष्ण मिशन के वैश्विक मुख्यालय बेलूर मठ में दर्शन के लिए देशभर से लोग आते हैं। भारतीय वनस्पति उद्यान (बोटानिकल गार्डेन) और संतरागाछी झील भी हावड़ा के कुछ आकर्षणों में से एक है। हावड़ा में पूर्वी भारत का सबसे बड़ा कपड़े का हाट मंगलाहाट भी लगता है। इसमें पूरे बंगाल समेत पूर्वी भारत विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर पूर्व के राज्यों के बड़ी संख्या में व्यापारी रेडीमेड्स गार्मेंट्स की खरीदारी करने आते हैं। हावड़ा में स्थित शिवपुर इंजीनियरिंग कालेज भी शिक्षा के क्षेत्र में प्रमुख संस्थान है। हावड़ा में एक समय बड़ी संख्या में जूट मिलें और अन्य बड़े कल-कारखाने भी थे, लेकिन इनमें से कई बड़े कारखाने बंद हो चुके हैं।

हावड़ा में प्रमुख मुद्दा

कई जूट मिलों सहित अन्य प्रमुख कारखानों के बंद होने के अलावा हावड़ा में पेयजल, जल जमाव और गंदगी एक बड़ी समस्या है। भाजपा उम्मीदवार डा रथिन चक्रवर्ती ने कहा कि प्रसून बनर्जी एक सांसद के रूप में असफल रहे। उन्होंने हावड़ा की प्रमुख समस्याओं और बंद उद्योगों के बारे में संसद में एक शब्द नहीं बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि बनर्जी साढ़े चार साल नींद में ही रहते हैं सिर्फ चुनाव के समय क्षेत्र में आते हैं। दूसरी तरफ, प्रसून बनर्जी ने कहा कि मैंने हावड़ा के समग्र विकास के बारे में संसद में बार-बार बोला है। मैं कोलकाता छोड़कर हावड़ा का स्थानीय निवासी बन गया। कोई मुझे आधी रात में भी बुलाता है तो मैं हमेशा उपलब्ध रहता हूं।

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