नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को अरब सागर में ‘दोहरे विमान वाहक’ के परिचालन के तहत विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य की युद्धक क्षमता का दीदार किया और भू-राजनीतिक उथल-पुथल के मद्देनजर उभरते समुद्री सुरक्षा परिदृश्य पर नौसेना के शीर्ष कमांडरों को संबोधित किया।
तीन दिवसीय नौसेना के कमांडरों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में सिंह ने दोनों विमान वाहक पोतों को तैनात करके उनको संचालित करने की नौसेना की क्षमता को देखने के लिए समुद्र में प्रवेश किया।
अपने संबोधन में सिंह ने समुद्री सुरक्षा और भारत की संप्रभुता बनाए रखने में नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और कमांडरों से सरकार के हरसंभव समर्थन का आश्वासन देते हुए सभी प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हिंद महासागर क्षेत्र और व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है तो यह हमारी नौसेना की बहादुरी और तत्परता के कारण है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विश्वसनीयता का पर्याय बन गई है। नौसेना वैश्विक पटल पर भारत के बढ़ते कद का प्रतिबिंब है।’’
रक्षा मंत्री ने आधुनिक युद्ध में ड्रोन के बढ़ते उपयोग सहित लगातार बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच तीनों सेनाओं में तालमेल के महत्व को रेखांकित किया।
नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा कि ‘जुड़वां विमान वाहक’ का प्रदर्शन समुद्री श्रेष्ठता बनाए रखने में समुद्र आधारित वायु शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका का एक ‘शक्तिशाली प्रमाण’’ है।
तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान, प्रमुख रक्षाध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी नौसेना कमांडरों के साथ कई मुद्दों पर बातचीत करेंगे।
राजनाथ ने नौसेना के कमांडरों को संबोधित किया, दोहरे विमान वाहक का परिचालन देखा
